अमेरिकी प्रशासन द्वारा कार्रवाई की आशंका के बाद वहां के एक इमाम ने अपने बयान के लिए माफी मांगी है। अमेरिका के टेक्सास के रहने वाले इमाम राएद सालेह अल रोसन ने अपने पिछले साल 8 दिसंबर को कहा था कि यहूदियों की हत्या करना मुसलमानों का फर्ज है। इमाम का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति के उस फैसले के बाद आया था जिसमें उन्होंने इजरायल में अमेरिका के दूतावास को येरूशलम ले जाने का फैसला किया था। अमेरिका के हटसन में एक इस्लामिक संस्थान की स्थापना करने वाले इस इमाम ने अपने संबोधन में कहा था कि कयामत का दिन तब तक नहीं आएगा जबतक फिलीस्तीन में मुसलमान यहूदियों के साथ युद्ध नहीं करते हैं। इस इमाम का एक वीडियो MEMRI TV टीवी द्वारा पोस्ट और ट्रांसलेट किया गया है। इमाम इस वीडियो में कह रहा है, ‘मुसलमान यहूदियों को मारेंगे और यहूदी पत्थरों और पेड़ों के पीछे छिपेंगे। इस वीडियो में इमाम आगे कहता है कि जंग के दौरान पेड़ और पत्थर भी मुसलमानों से कहेंगे, ‘देखो वहां एक यहूदी छिपा हुआ है आओ और उसे मारो।’

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अपने भड़काऊ वीडियो में यह इमाम कहता है कि इस जंग में मुसलमान जीतेंगे यह बात यहूदियों को भी पता है, लेकिन बहनों और भाइयों वह इसमें दर कर रहा है क्योंकि वह नहीं चाहता है कि मुसलमान धार्मिक बनें। इस वीडियो के सार्वजनिक होने के बाद अमेरिकी अधिकारियों के कान खड़े हो गये और इस इमाम के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जाने लगी। तब तक इमाम राएद सालेह अल रोसन दो और वीडियो जारी किये, इसमें से दूसरे वीडियो में वह बिना किसी लाग लपेट के माफी मांग रहा है। पहले वीडियो में उसने कहा कि वह खुद हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ है। पर राष्ट्रपति द्वारा अमेरिका के दूतावास को येरूशलम ले जाने की घोषणा के बाद उसका बयान भड़काऊ था और इसमें वही चीजें कही जा रही थीं जिसके खिलाफ वह है।

दूसरे वीडियो में वह माफी मांगते हुए कहता है कि उसे इस्लामी विद्वानों से समझाया कि उसका यह बयान किस तरह से यहूदियों के विरुद्ध हिंसा को भड़काता है।बता दें कि अमेरिकी प्रशासन भड़काऊ बयानबाजी के लिए कई इमाम को दंडित कर चुका है। पिछले साल जुलाई महीने अल अक्शा मस्जिद को यहूदियों के कब्जे से मुक्त कराने की बात कहकर कैलिफोर्नियां के एक इमाम को माफी मांगनी पड़ी थी।