सीएनएन की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्यिक दूतावास में वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या से पहले उनके आखिरी शब्द थे, “मैं सांस नहीं ले पा रहा।” दूतावास में खशोगी की हत्या से पहले रिकॉर्ड ऑडियो रिकॉर्डिग को सुनने वाले एक सूत्र ने रविवार को सीएनएन को बताया कि दो अक्टूबर को हुई हत्या कोई दुर्घटना नहीं बल्कि एक सोची समझी साजिश थी। यह ऑडियो रिकॉर्डिग दो अक्टूबर को खशोगी के सऊदी वाणिज्यिक दूतावास में घुसने के साथ ही शुरू होती है।

खशोगी को लगा कि वह अपनी मंगेतर से शादी करने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज लेने दूतावास गए हैं लेकिन उन्हें जल्द ही पता चला कि कुछ तो गलत है क्योंकि उन्होंने वहां मिलने वाले एक शख्स को पहचान लिया था। सीएनएन के सूत्र के मुताबिक, इस ऑडियो में मेहर अब्दुल्लाजीज मुतरेब की आवाज को पहचान लिया गया है, जो सऊदी अरब के पूर्व राजनयिक और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के खुफिया अधिकारी हैं।

मुतरेब ने खशोगी से बातचीत की। उस शख्स (मुतरेब) ने कहा, “आप वापस आ रहे हैं। इस पर खशोगी ने जवाब दिया, “आप ऐसा नहीं कर सकते। लोग बाहर इंतजार कर रहे हैं। सूत्र के मुताबिक, ऑडियो सुनकर ऐसा लगा कि आगे बिना किसी बातचीत के कई लोग उन पर टूट पड़े। इसके बाद कुछ आवाजें सुनाई दी और जल्द ही खशोगी सांस लेने के लिए तड़पने लगे। खशोगी कहते हैं, “मैं सांस नहीं ले पा रहा। मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं। इसके बाद ऑडियो में खशोगी के शव को किसी तेजधार हथियार से काटाने की आवाजें सुनाई पड़ीं। इस बीच कथित साजिशकर्ताओं को इन आवाजों को दबाने के लिए संगीत सुनने की सलाह दी गई।

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हालांकि, खशोगी की मौत के सटीक समय का पता नहीं चल पाया है। सूत्र के मुताबिक, ऑडियो में सुनाई दे रहा है कि मुतरेब तीन बार किसी को फोन करते हैं। तुर्की अधिकारियों के मुताबिक, ये कॉल सऊदी अरब में किसी उच्च अधिकारी को किए गए। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए सऊदी अरब के एक अधिकारी ने सीएनएन को बताया, “सऊदी अरब के संबद्ध सुरक्षा अधिकारियों ने इस ऑडियो की समीक्षा की है और इसमें कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि कॉल की गई। अगर तुर्की प्रशासन के पास अतिरिक्त सूचना है, जिससे हम वाकिफ नहीं हैं तो हम चाहेंगे कि आप हमें आधिकारिक रूप से उसे सौंपे, हम इसकी समीक्षा करेंगे।”