इजरायल और हमास के बीच जारी भीषण जंग अब खत्म होने के करीब है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गाजा पीस प्लान पर दोनों इजरायल और हमास ने रजामंदी दी है। कुछ मुद्दों पर मतभेद ज़रूर हैं, लेकिन फिर भी इस प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ने पर सहमति दिख रही है।

अभी गाजा पीस प्लान का सबसे अहम पहलू है बंधकों का सुरक्षित रिहा होना। बात चाहे गाज़ा की हो या फिर इजरायल की, दोनों ही जगह दूसरे देशों के लोगों को बंधक बनाकर रखा गया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू कई मौकों पर हमास को खुली चुनौती दे चुके हैं कि सभी इजरायली नागरिकों को सुरक्षित गाज़ा से बाहर निकल जाने दिया जाए।

अब जानकार मानते हैं कि गाजा से इजरायली बंधकों की रिहाई तो होगी, लेकिन इस प्रक्रिया में अभी लंबा समय लग सकता है। यह समय इसलिए भी लग सकता है क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप के पीस प्लान में रिहाई से पहले कुछ दूसरे कदम उठाना ज़रूरी है।

ट्रंप का गाजा पीस प्लान क्या है?

ट्रंप के गाजा पीस प्लान के मुताबिक, सबसे पहले गाजा को आतंक-मुक्त क्षेत्र बनाने पर ज़ोर दिया जाएगा। उसके बाद 72 घंटे के अंदर बंधकों की रिहाई होगी। रिहाई के बाद इज़रायल अपनी सेनाओं को गाज़ा से वापस बुलाएगा। आखिर में, ट्रंप का प्लान स्पष्ट करता है कि अमेरिका, इजरायल और फिलिस्तीनी पक्षों के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश करेगा और राजनीतिक संवाद की शुरुआत करवाएगा, ताकि स्थायी समाधान निकल सके।

युद्ध के समय क्या किसी को बंधक बना सकते हैं?

यहां समझने वाली बात यह है कि इजरायल और हमास, दोनों ने ही एक-दूसरे के कई नागरिकों को बंधक बनाया है। जबकि युद्ध के दौरान किसी को बंधक बनाना अवैध है और यह चौथी जेनेवा कन्वेंशन तथा सामान्य अंतरराष्ट्रीय मानकों के खिलाफ माना जाता है।

बंधकों को लेकर अंतरराष्ट्रीय नियम क्या कहते हैं?

ऐसे में, क्योंकि हमास और इजरायल — दोनों ने एक-दूसरे के नागरिकों को बंधक बनाया है — अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दोनों पर ही उन्हें रिहा करने का दबाव सबसे ज्यादा है। हमास और इज़रायल इस बात को भी समझते हैं कि किसी को बंधक बनाना या फिर बिना वजह हत्या करना अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है, और आईसीसी में उनके खिलाफ आपराधिक जांच या अभियोजन भी चल सकता है।

इंटरनेशनल कमिटी ऑफ़ द रेड क्रॉस की क्या भूमिका?

इसलिए, रिहाई तो दोनों ही देशों को एक-दूसरे के बंधकों की करनी होगी, लेकिन इसमें अहम भूमिका इंटरनेशनल कमिटी ऑफ़ द रेड क्रॉस यानी आईसीआरसी की रहने वाली है। आईसीआरसी एक तटस्थ संस्था है, जो युद्ध के समय बंधकों की रिहाई में मदद करती है। जेनेवा कन्वेंशन में भी आईसीआरसी की भूमिका के बारे में विस्तार से लिखा गया है। आमतौर पर आईसीआरसी का असली काम तब शुरू होता है जब दोनों देश बंधकों को छोड़ने पर तैयार हो जाते हैं। यह संस्थान बंधकों को स्वास्थ्य, सुरक्षा और पहचान के मामले में व्यावहारिक सहायता देता है।

मित्र देश क्या कोई भूमिका निभाते हैं?

आईसीआरसी का ट्रैक रिकॉर्ड भी बताता है कि पिछले कुछ सालों में — चाहे नाइजीरिया में अपहृत लड़कियों की वापसी की बात हो, या अफगानिस्तान, कोलंबिया और पेरू में फंसे लोगों की रिहाई — इस संस्था ने कई सफल मध्यस्थताएँ की हैं। इसी वजह से माना जा रहा है कि आईसीआरसी गाज़ा से इज़रायली नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

वैसे, आईसीआरसी के अलावा, जब दोनों देशों के बीच बंधकों की रिहाई होगी, तो मित्र देश — मिस्र, सऊदी अरब और तुर्की — भी अपना योगदान दे सकते हैं।

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