नियंत्रण रेखा के पार आतंकी शिविरों पर लक्षित हमलों के मद्देनजर भारत ने शुक्रवार (30 सितंबर) जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय और सीमापार आतंकवाद से समग्र रूप से निपटा जाना चाहिए, साथ ही आतंकवाद पर वैश्विक संधि का जल्द से जल्द अनुमोदन करने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि आतंकवाद को किसी भी स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सीमाओं पर आतंकवाद के खतरों का सामना करना पड़ता है। माली गणराज्य के नेशनल एसेम्बली में अपने संबोधन में अंसारी ने कहा, ‘भारत आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा करता है और उसका मत है कि अंतरराष्ट्रीय और सीमापार आतंकवाद से समग्र तरीके से निपटा जाना चाहिए। हम महसूस करते हैं कि आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए आतंकवाद पर समग्र अंतरराष्ट्रीय संधि का जल्द से जल्द अनुमोदन किया जाना चाहिए।’

इस मामले में माली से सहयोग मांगते हुए उन्होंने कहा, ‘जब हम अपने लोगों और समाज के बेहतर भविष्य के लिए व्यक्तिगत रूप से और साथ मिलकर आगे बढ़ रहे हैं, तब हमें विकास के मार्ग में उत्पन्न होने वाली बाधाओं को समझना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘इन बाधाओं में क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद की बुराई प्रमुख है। चारमपंथ और आतंकवाद का हम दोहरा खतरा झेल रहे हैं।’ अंसारी ने कहा कि दुनिया का स्वरूप अब और वैश्विक और एक दूसरे से जुड़ा हुआ हो गया है, आज दुनिया के समक्ष जो मुद्दे हैं, उनका समाधान कुछ गिने चुने शक्तिशाली देश या क्षेत्रीय प्रयासों के जरिये नहीं निकल सकता है। उन्होंने कहा, ‘इन मुद्दों में न केवल जलवायु परिवर्तन जैसे विषय शामिल हैं बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियां, मादक पदार्थो की तस्करी, मानव तस्करी, व्यापक विनाश के हथियारों का प्रसार और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद जैसे मुद्दे शामिल हैं। साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष सुरक्षा के नये आयाम सामने आए हैं।’

माली को शिक्षा का एक प्राचीन केंद्र और सांस्कृतिक परंपरा और प्रभावों की स्थली बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह विद्वानों, संगीतकारों और इतिहासकारों से परिपूर्ण क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षो में हमने दूरी कम करने का प्रयास किया है जो भौतिक रूप से हमें पृथक करते थे। उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा भारत से माली के लिए पहली उच्च स्तरीय यात्रा है और यह ऐसे समय में सामने आई है जब दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध शानदार हैं। अंसारी ने कहा, ‘मेरी यहां की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया ने भारत की आर्थिक वृद्धि की कहानी को माना है। आर्थिक वृद्धि भारत को न सिर्फ अपने विकास के लिए अधिक संसाधन प्रदान करेंगे बल्कि अफ्रीका जैसे दुनिया में विकास के उभरते वृद्धि धु्रवों के साथ और जुड़ने और विस्तार के लिए आर्थिक सहुलियत प्रदान करेंगे।’

उन्होंने कहा, ‘यह ऐसे समय में हो रही है जब अफ्रीका में लोकतंत्र की भावना बढ़ रही है और उसने अपने संसाधनों पर अपना नियंत्रण कायम करना और अपने लोगों का समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में बढ़ना शुरू किया है।’ अंसारी ने कहा, ‘अफ्रीका के साथ हमारे गठजोड़ का दृष्टिकोण सशक्तिकरण, क्षमता निर्माण, मानव संसाधन विकास, भारतीय बाजारों तक पहुंच और अफ्रीका में भारतीय निवेश का समर्थन करना है ताकि अफ्रीका के लोगों को अपनी स्वतंत्र पसंद और अपने महादेश के विकास की जिम्मेदारी उठाने की क्षमता प्राप्त हो सके। अफ्रीका के साथ हमारा संबंध अनोखा है और इसके लिए किसी संदर्भ की जरूरत नहीं है।’ उन्होंने कहा कि भारत-अफ्रीका गठजोड़ दो तरफा रास्ता है। हाल के वर्षो में अफ्रीकी दृष्टि और नेतृत्व के परिणामस्वरूप अफ्रीका का विकास काफी प्रभावकारी रहा है। इस संदर्भ में टिकाऊ विकास और लोगों के सशक्तिकरण के बारे में कई प्रेरणादायक मॉडल और सफलता की कहानियां हैं जो विशेष तौर पर युवाओं, महिलाओं से संबंधित हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत हमेशा अफ्रीका में अपने दोस्तों की जरूरतों और प्राथमिकताओं के अनुरूप काम करेगा। उन्होंने कहा, ‘भविष्य का खाका हमारे साझे दृष्टि और लक्ष्यों तथा हमारी क्षमताओं एवं शक्ति से प्रदर्शित होगा।’ अंसारी ने कहा कि इनमें मानव संसाधन विकास, संस्थागत निर्माण, आधारभूत संरचना, स्वच्छ ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास शामिल है। हम जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास जैसे साझे मुद्दे पर भी मिलकर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षो में हम अपने गठजोड़ को निश्चित तौर पर अधिक ऊंचे स्तर पर ले जाएंगे। हम अपने संबंधों को और अधिक प्रभावशाली बनाएंगे जो अफ्रीका के साथ विकास आधारित सहयोग कार्यक्रम के आधार पर होगा।