7 अक्टूबर 2023, वो तारीख जब देर रात हमास ने इजरायल पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला था। ना कोई जानकारी थी, ना कोई अंदाजा था, अचानक से कई लड़ाके आए, इजरायल की सीमा में दाखिल हुए और देखते ही देखते 1200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। 257 लोगों को कैदी बनाकर हमास अपने साथ ले गया। अब हमास ने क्या सोचकर यह हमला किया था, यह वो जानता था, लेकिन इजरायल ने उस हमले को हल्के में नहीं लिया, दशकों बाद ऐसी कार्रवाई देखने को मिली जिसका दंश पूरा गाजा आज भी भुगत रहा है। 1200 इजरायली की मौत का जवाब 41000 से ज्यादा मौते हैं। पूरा गाजा तबाह हो चुका है।
आज जब हमास हमले की बरसी बनाई जा रही है, एक नजर उस गाजा पर डालने की जरूरत है जिसका कोई कसूर नहीं था, लेकिन सबसे ज्यादा तबाही वो देख रहा है। बच्चों के पास पढ़ने के लिए स्कूल नहीं बचे हैं, रोजगार के लिए नौकरी कहीं नहीं मिल रही है, जान बचाने वाले अस्पताल इजरायली रॉकेट, मिसाइल से नेस्तनाबूद हो चुके हैं। जिस गाजा में खेती काफी ज्यादा होती थी, वहां अब किसान बर्बाद हो चुके हैं। यानी कि 365 दिनों ने गाजा की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल डाली है। आज गाजा की उन्हीं तस्वीरों पर नजर दौड़ाते हैं और कैसे उसकी तकदीर का पतन होता रहा, य समझने की कोशिश करते हैं।

एक साल में कितनी बदली गाजा के स्कूलों की हालत?
गाजा में भी बच्चों को पढ़ने का शौक था, लेकिन शायद वो अब कई सालों तक पूरा नहीं होने वाला। इजरायल के हमलों ने गाजा में 90 फीसदी स्कूलों को बर्बाद कर दिया है। UNICEF के आंकड़े बताते हैं कि इस साल 45 हजार से ज्यादा ऐसे बच्चे सामने आए हैं जो स्कूल में दाखिला तक नहीं ले पाएंगे। इसके ऊपर इस युद्ध के शुरू होने के बाद से अभी तक 6 लाख 25 हजार बच्चों को स्कूल में एंट्री मिलना बंद हो चुका है।
पश्चिमी एशिया में कितने बदले हालात
गाजा का ही Government Media Office (GMO) कहता है कि इजरायली हमलों की वजह से 123 स्कूल बर्बाद हो चुके हैं, 11 500 बच्चों की मौत हुई है, 750 टीचरों ने भी जान गंवाई है। जानकार मानते हैं कि ज्यादा जानें इसलिए गईं क्योंकि इजरायली बमबारी से बचने के लिए स्कूलों को ही शेल्टर होम में तब्दील कर दिया गया था। ऐसे में जब-जब स्कूल पर हमला हुआ, कई बच्चों, कई बुजुर्गों की, कई शिक्षकों की मौत हो गई।
अब यह बात तो उन छोटे बच्चों की है जिन्होंने पढ़ाई करना बस शुरू ही किया, लेकिन जो कॉलेज में थे, जो अपनी डिग्री हासिल करने वाले थे, उनका हाल और बुरा है। पिछले एक साल से किसी भी स्टूडेंट की ग्रैजुएशन पूरी नहीं हो पाई है। UNICEF की माने तो 39 हजार छात्र अपना फाइनल ईयर का एग्जाम भी नहीं दे पाए।

चाहकर भी गाजा में नहीं मिल रही नौकरी, चरम पर बेरोजगारी
गाजा पट्टी में इजरायल की बमबारी का असर सिर्फ मासूम बच्चों तक सीमित नहीं रहा है, घर के लिए पैसा कमाने वाले बड़े भी बेरोजगार, बेबस और बदनसीब हो चुके हैं। बात अगर आंकड़ों में करें गाजा में बेरोजगारी दर 79.1 फीसदी तक पहुंच चुकी है।
इसके ऊपर गाजा में जितनी भी बड़ी प्राइवेट कंपनियां काम कर रही थीं, या तो वो पूरी तरह बंद चुकी हैं या फिर उन्होंने अपना प्रोडक्शन ना के समान कर दिया है। हैरान करने वाला आंकड़ा यह है कि बड़ी-बड़ी कंपनियों का प्रोडक्शन वैल्यू 85.8 फीसदी तक गिर चुका है। यह आंकड़ा उन शुरुआती चार महीनों का जब गाजा में इजरायल का काउंटर ऑपरेशन बस शुरू ही हुआ था। चिंता वाला आंकड़ा तो यह भी है कि गाजा पट्टी में इजरायल हमले के बाद से 2 लाख से ज्यादा नौकरियां जा चुकी हैं।

गाजा की जीडीपी बर्बाद, गिरावट इतनी कि वापसी मुश्किल
अब गाजा में क्योंकि नौकरियां बची नहीं हैं, उस वजह से जीडीपी पूरी तरह चौपट हो चुकी है। हालात ऐसे बन गए हैं कि 81% तक गाजा की जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई है। गाजा को लेकर एक प्रोजेक्शन यह भी हुआ है कि यहां पर अब पर कैपिटा इनकम 18 फीसदी तक और कम होने वाली है। उसका कारण यह है कि युद्ध आने वाले दिनों में भी थमता नहीं दिख रहा, ऐसे में आर्थिक पहलुओं में कोई सुधार नहीं होगा, इससे उलट गरीबी बढ़ेगी, बेरोजगरी बढ़ेगी और खाने के भी लाले पड़ जाएंगे।
गाजा में किसानों की हालत पतली, खेती की जमीन ही नहीं बची
गर्मियों में गाजा की धरती को अगर देखा जाए तो वहां फसल लहरा रही होती है, फल-फूल उग रहे होते हैं। वहां का जैसा मौसम है, यह सब काफी आम है। लेकिन इजरायली बमबारी ने किसानों तक को नहीं बख्शा है। आंकड़ा ही कह रहा है कि गाजा पट्टी में जो 230 किलोमीटर तक खेती वाली जमीन है, उसमें 140 किलोमीटर की जमीन खत्म हो चुकी है, कारण- इजरायल के हमले, कारण-इजरायल के रॉकेट, कारण-इजरायल के गोले-बारूद।
गाजा में वैसे स्ट्रॉबेरी का कारोबार भी काफी चलता है, लेकिन पिछले एक साल में वो धंधा भी चौपट हो चुका है। इजरायल हमले से पहले जितना एक्सपोर्ट गाजा से होता था, अब उसका आधा भी नहीं होता है। स्थिति सुधरेगी, ऐसी गारंटी भी नहीं मिल रही है।

गाजा में दो वक्त का खाना नहीं, भुखमरी से हाल बेहाल
गाजा पट्टी में युद्ध का असर सिर्फ यह नहीं है कि लोगों की जान गई हो, असल में वहां पर जिंदा लोग भी लाश जैसे बन चुके हैं। उनके पास दो वक्त क्या एक वक्त का खाना भी नहीं है। आंकड़े चीख-चीख कर इस बात की गवाही दे रहे हैं, वर्तमान में 495,000 लोग भुखमरी का शिकार हैं। सहायता दी जा रही है, लेकिन हालात जितने विक्राल बन चुके हैं, आने वाले दिनों में स्थिति ज्यादा सुधरती नहीं दिख रही।