हेग अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने मंगलवार फैसला सुनाया कि दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर चीन के ‘ऐतिहासिक अधिकार’ के दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है। अदालत ने एक बयान में कहा, ‘न्यायाधिकरण ने निष्कर्ष निकाला कि चीन के पास नाइन डैश लाइन के भीतर पड़ने वाले समुद्री इलाकों पर ऐतिहासिक अधिकार जताने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।’ फिलिपीन ने संयम का आग्रह करते हुए फैसले का स्वागत किया है। वहीं चीन ने कोर्ट के इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया।

चीन के सरकारी मीडिया ने  फैसले के बाद कहा कि चीन न्यायाधिकरण के फैसले को स्वीकार नहीं करता और नहीं मानता। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि फिलीपीन्स के अनुरोध पर शुरू किये गये दक्षिण चीन सागर मामले में किसी न्यायाधिकरण की व्यवस्था को चीन ना तो स्वीकार करता है और ना ही मानता है।

China’s claims to historic rights under nine-dash line are contrary to UN convention – Hague tribunal

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गौरतलब है कि चीन पहले ही कोर्ट का फैसला मानने से इंकार कर चुका था। चीन का कहना है कि इस मामले में फैसला करने का अधिकार इस कोर्ट के पास नहीं है। चीन अपने दक्षिण पूर्व एशियाई पड़ोसियों के विरोधी दावों के बीच रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लगभग सारे जलक्षेत्र पर अपना प्रभुत्व जताता रहा है। मनीला ने 2013 में बीजिंग के खिलाफ वाद दर्ज कर कहा था कि 17 साल तक बातचीत के बाद वह सभी राजनीतिक और कूटनीतिक रास्तों को अख्तियार कर थक चुका है।

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फिलीपीन ने अपनी याचिका में अपने तट से करीब 140 मील के क्षेत्र पर चीन के कब्जा करने के आरोप के अलावा अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण से चीन के आधिकारिक मानचित्र पर अंकित ‘नाइन डैश लाइन’ के अंतर्गत जल क्षेत्र पर चीनी सम्प्रभुता के दावों को नामंजूर करने को कहा था। अंग्रेजी के अक्षर ‘यू’ आकार की यह रेखा चीन के दावों को प्रदर्शित करती है जो कि तेल की अधिकता वाले क्षेत्रों सहित वैश्विक कारोबार के लिए महत्वपूर्ण और प्राकृतिक संसाधनों से प्रचुर दक्षिण चीन सागर की कम से कम 90 प्रतिशत क्षेत्र पर दावा पेश करती है।

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