अमेरिका में H-1B वीजा की लागत बढ़ने के साथ ही भारतीयों के लिए दूसरे देशों में भी विकल्प खुल रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 21 सितंबर को H1-B आवेदन करने वाले सभी लोगों पर एक लाख डॉलर का भारी शुल्क लगाने की घोषणा की। ट्रंप के इस आदेश से लगभग एक लाख भारतीय पेशेवर प्रभावित हो सकते हैं। इनमें STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में काम करने वाले पेशेवरों के सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है।

वर्तमान में वार्षिक तौर पर 65 हजार एच1-बी वीज़ा जारी किए जाते हैं जिसमें 20,000 अतिरिक्त वीज़ा उन विदेशी पेशेवरों के लिए हैं जो किसी अमेरिकी उच्च शिक्षा संस्थान से मास्टर डिग्री या डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करते हैं। पिछले साल 80,000 से अधिक भारतीयों ने H-1B वीजा के लिए आवेदन पेश किए थे।

डोनाल्ड ट्रंप के वीजा फीस बढ़ाने की घोषणा के बाद से, कई देश भारत के प्रतिभाशाली लोगों का स्वागत करने के लिए आगे आए हैं और उन्हें अपने यहां लाने के लिए विशेष वीज़ा नीतियों की पेशकश दे रहे हैं। आइए जानते हैं ये देश क्या पेशकश कर रहे हैं और कितने संभावित H1-B आवेदकों को अमेरिका के अलावा दुनिया के अन्य हिस्सों में जगह मिल सकती है।

जर्मनी से ब्रिटेन तक भारतीयों के लिए नए ऑप्शन

भारतीयों के लिए घोषणाएं करने वाले देशों में जर्मनी, ब्रिटेन और चीन शामिल हैं। हाल ही में, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि उनका देश जल्द ही विदेशी कर्मचारियों को प्रवेश देने के लिए कुछ प्रस्तावों की घोषणा करेगा। उन्होंने कहा, “अमेरिका में उतने H1B वीज़ा धारकों को वीज़ा नहीं मिलेगा। ये लोग कुशल हैं और यह कनाडा के लिए एक अवसर है, हम जल्द ही इस पर एक प्रस्ताव लाएंगे।” हालांकि, यह प्रस्ताव अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है लेकिन कनाडा 2023 वीज़ा कार्यक्रम को फिर से शुरू करने पर विचार कर सकता है, जिसके तहत पहले से ही एच-1बी वीज़ा धारकों को तीन साल तक के लिए अधिक अनुकूल शर्तों पर कनाडा प्रवास की अनुमति दी गई थी। यह योजना इस साल जुलाई में बंद हो गई थी, जब राज्य द्वारा 10,000 आवेदकों की सीमा पूरी हो गई थी।

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ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर कुशल विदेशी कामगारों के लिए वीज़ा शुल्क समाप्त करने के प्रस्तावों पर विचार कर रहे हैं। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय में हुई चर्चाओं से अवगत लोगों के हवाले से बताया गया है। स्टारमर की योजना आर्थिक विकास को गति देने के लिए शिक्षाविदों और डिजिटल विशेषज्ञों सहित शीर्ष वैश्विक वैज्ञानिकों को ब्रिटेन में आकर्षित करने की है। एक विकल्प शीर्ष पेशेवरों के लिए सभी वीज़ा शुल्क समाप्त करने का भी है।

जर्मनी का क्या है ऑफर?

इस बीच, जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन ने भी कुशल भारतीय कामगारों को खुला निमंत्रण दिया। फिलिप ने सितंबर के अंत में एक्स पर पोस्ट किया, “सभी उच्च कुशल भारतीयों से मेरा यह आह्वान है। जर्मनी अपनी स्थिर प्रवासन नीतियों और आईटी, प्रबंधन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीयों के लिए बेहतरीन रोज़गार अवसरों के साथ विशिष्ट स्थान रखता है।” अनुमान है कि बढ़ती उम्र की आबादी के प्रभावों को कम करने के लिए जर्मन अर्थव्यवस्था को 2040 तक सालाना लगभग 288,000 प्रवासियों की आवश्यकता होगी। बर्लिन ने पहले ही 10 प्रतिशत अधिक पेशेवर वीज़ा जारी करने की योजना की घोषणा कर दी है। लगभग 130,000 भारतीय पेशेवर पहले से ही जर्मनी में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं।

एशिया में कौन-कौन से देश लाए नए वीजा प्लान?

अमेरिकी राष्ट्रपति की घोषणा के तुरंत बाद, चीन ने STEM क्षेत्रों में कुशल श्रमिकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से नए K वीज़ा की घोषणा की। पिछले महीने चीन की कैबिनेट, स्टेट काउंसिल द्वारा की गई घोषणा के बाद K वीज़ा 1 अक्टूबर से प्रभावी हो गया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने 30 सितंबर को कहा कि वीज़ा का उद्देश्य चीन और अन्य देशों की STEM प्रतिभाओं के बीच आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देना है। के-वीज़ा का मुख्य आकर्षण यह है कि इसके लिए किसी प्रायोजक नियोक्ता की आवश्यकता नहीं होती, जिसे एच-1बी वीज़ा प्राप्त करने में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक माना जाता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि के-वीज़ा पर कोई सीमा होगी या नहीं।

दक्षिण कोरिया ने अपने मंत्रालयों को वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को आकर्षित करने के लिए अमेरिकी वीज़ा परिवर्तनों का लाभ उठाने के तरीके खोजने का भी निर्देश दिया है। हालांकि, अभी तक विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन देश अगले साल के बजट को एआई और प्रौद्योगिकी-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किए गए अन्य क्षेत्रों से जुड़ी पहलों पर केंद्रित करने की योजना बना रहा है।

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