दुनिया में बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने की दिशा में आगे बढ़ते हुए पहली हाईड्रोजन ट्रेन का निर्माण कर लिया गया। सोमवार को जर्मनी में दुनिया की पहली हाइड्रोजन इंधन वाली ट्रेन का सफल ट्रायल किया गया। यह ट्रेन पर्यावरण के अनुकूल है। डीजल इंजन की तरह इससे प्रदूषण नहीं होता। फ्रांस की टीजीवी-निर्माता कंपनी अल्स्टॉम द्वारा निर्मित दो आईलिंट ट्रेनों का ट्रायल उत्तरी जर्मनी में कक्सहेवन, ब्रेमेरहेवन, ब्रेमर्वोर्डे और बक्सटेहुड के कस्बों और शहरों के बीच एक 100 किलोमीटर की दूरी में किया गया। इस ट्रेन की खासियत यह है कि एक बार इसका टैंक फुल होने के बाद यह करीब 1000 किलोमीटर की दूरी तय करती है। उत्सर्जन के नाम पर इसमें से सिर्फ पानी और वाष्प निकलता है।
VIDEO: Germany rolls out the world’s first hydrogen-powered train, signalling the start of a push to challenge the might of polluting diesel trains with costlier but more eco-friendly technology. Read more here: https://t.co/wChs2JTD5n pic.twitter.com/vNgNgzoPId
— AFP news agency (@AFP) September 17, 2018
अल्स्टॉम के सीईओ हेनरी पाउपार्ट-लाफार्ज ने ब्रेमर्वोर्डे ने उद्घाटन समारोह में कहा, “दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन व्यवसायिक सेवा में प्रवेश कर रही है। इसका लगातार उत्पादन किया जाएगा।” कई स्टेशनों पर इसमें इंधन भराने की सुविधा दी जा रही है। कंपनी का लक्ष्य 2021 तक इसी तरह की 14 और ट्रेनें को चलाने का है। हालांकि, इस ट्रेन को चलाने में डीजल इंजन के मुकाबले खर्च थोड़ा ज्यादा आता है। हाइड्रोजन ट्रेनों में फ्यूल शेल होता है, जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिलने के बाद बिजली उत्पन्न करती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान उत्सर्जन के रूप में सिर्फ भाप और पानी निकलता है। यही वजह है कि इसे जीरो उत्सर्जन यानि कि प्रदूषण न करने वाला इंजन बताया जाता है। इस दौरान बिजली का जो अधिक उत्पादन होता है, उसे ट्रेन में आयन लिथियम बैटरी में अतिरिक्त जमा की जाती है।
अल्स्टॉम बिना विद्युत वाले रेलवे लाइन पर डीजल इंजन की जगह ऐसे वैकल्पिक इंजन के विकास पर काम कर रही है, जिससे प्रदूषण न हो। इस ट्रेन से जर्मनी के कई शहरों में प्रदूषण से निपटा जा सकता है। जर्मनी के अलावा ब्रिटेन, नीदरलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, इटली, कनाडा जैसे देशों में भी हाईड्रोजन ट्रेन चलाने की संभावना पर काम किया जा रहा है। फ्रांस की सरकार ने पहले ही कहा कि वह देश में 2022 तक पटरी पर हाईड्रोजन ट्रेन चलते देखना चाहती है।