जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के अनुमोदन की भारत की घोषणा और आगामी कुछ दिनों में इसका अनुमोदन करने के ईयू के संकेत से ऐसा प्रतीत होता है कि यह समझौता जल्द ही लागू हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफान दुजारिक ने बुधवार (28 सितंबर) कहा, ‘हमने सुना है कि यूरोपीय संघ अनुमोदन संबंधी अपना दस्तावेज (रेटिफिकेशन इंस्ट्रुमेंट्स) हमारी उम्मीद से भी पहले पहले जमा करा सकता है। यह एक शानदार समाचार होगा क्योंकि यह हमें उत्सर्जन की प्रतिशतता के संदर्भ में आवश्यक संख्या हासिल करने में मदद करेगा और हम देशों की आवश्यक संख्या पहले की प्राप्त कर चुके हैं।’ भारत और ईयू के अनुमोदन मिलने का मतलब यह हुआ कि इस समझौते को विश्व की करीब 65 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले देशों की मंजूरी मिल जाएगी। इस समय 48 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार 61 देशों ने समझौते को स्वीकार कर लिया है। यह समझौता 55 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार 55 देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र में अनुमोदन संबंधी दस्तावेज जमा कराने के 30 दिन बाद लागू होगा।

 

दुजारिक ने कहा कि यदि यह सात अक्तूबर से पहले होता है तो जब सात नवंबर को माराकेश में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की आगामी बैठक होगी तब यह समझौता पहले ही लागू हो गया होगा। ‘यह शेष विश्व को बहुत मजबूत संकेत भेजेगा।’ अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर भारतीय अधिकारियों ने बताया कि करीब 4.5 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार भारत ने बुधवार को समझौते का अनुमोदन कर दिया था और उसकी संयुक्त राष्ट्र के पास महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर दो अक्तूबर को अनुमोदन का दस्तावेज जमा कराने की योजना है। जर्मनी ने 23 सितंबर को समझौते का अनुमोदन कर दिया था लेकिन ईयू के नियमों के अनुसार करीब 12 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार यूरोपीय देश एक गुट के रूप में अपना अनुमोदन तभी जमा करा सकते हैं जब सभी 28 सदस्य इस समझौते को मंजूरी दे देंगे। राजनयिकों एवं मीडिया रिपोर्टों ने कहा कि ईयू के इस सप्ताह बाद में बैठक की प्रक्रिया तेज करने और सात अक्तूबर तक इसके अंतिम रूप देने की उम्मीद है।