Macron Recognizes Palestine: फ्रांस ने बहुत बड़ा कदम उठाते हुए ऐलान किया है कि वह फिलिस्तीन को अलग देश के रूप में मान्यता देगा। ऐसा करने वाला फ्रांस पहला G-7 राष्ट्र बन जाएगा। फिलिस्तीन की ओर से फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इस फैसले का स्वागत किया गया है जबकि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस कदम पर भड़क गए हैं।
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी और बताया कि वह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस फैसले को अमली जामा पहनाएंगे। उन्होंने लिखा है कि आज सबसे जरूरी है कि गाजा में युद्ध रोका जाए और लोगों को बचाया जाए।
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मैक्रों ने क्या लिखा?
मैक्रों ने X पर लिखा, ‘हमें तत्काल सीजफायर, सभी बंधकों की रिहाई और गाजा के लोगों के लिए बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता की जरूरत है। हमें हमास का demilitarization भी करना होगा, गाजा को सुरक्षित और इसे फिर से बनाना होगा और फिलिस्तीन देश को बनाना होगा…।
बताना होगा कि अक्टूबर, 2023 के बाद से ही फिलिस्तीन के संगठन हमास और इजरायल के बीच जंग चल रही है। इस जंग में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। बताना जरूरी होगा कि इजरायल की सरकार फिलिस्तीन को अलग देश का दर्जा देने का विरोध करती रही है।
फ्रांस के इस कदम से इजरायल पर कूटनीतिक दबाव बन गया है। अब तक 140 से ज्यादा देश फिलिस्तीन को अलग देश की मान्यता दे चुके हैं जिसमें यूरोप के भी एक दर्जन से ज्यादा देश शामिल हैं।
बेंजामिन नेतन्याहू ने क्या कहा?
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “इजरायल राष्ट्रपति मैक्रों के इस फैसले की कड़ी निंदा करता है। यह कदम आतंक को बढ़ावा देता है और ईरान का एक और सहयोगी (proxy) पैदा कर सकता है, जैसे गाजा बना था। ऐसे हालात में एक फिलिस्तीनी राज्य इज़राइल को खत्म करने का लॉन्च पैड बन जाएगा।”
क्या चाहते हैं फिलिस्तीन के लोग?
फिलिस्तीन के लोग एक अलग देश चाहते हैं जो वेस्ट बैंक, ईस्ट यरुशलम और गाजा को मिलाकर बनाया जाए। इन सभी इलाकों पर इजरायल ने 1967 के युद्ध में कब्जा कर लिया था। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के इस फैसले पर Palestine Liberation Organization (PLO) ने उनका आभार जताया है। PLO के उपाध्यक्ष हुसैन अल-शेख ने कहा, “यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून और फिलिस्तीन के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के प्रति फ्रांस की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
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फ्रांस के कदम से हैरानी
फ्रांस का यह कदम इसलिए हैरान करने वाला है क्योंकि 7 अक्टूबर को जब हमास ने इजरायल पर हमला किया था तब उसने इजरायल को समर्थन देने की पेशकश की थी और वह यहूदियों के विरोध में होने वाली घटनाओं की निंदा करता रहा है। मैक्रों ने यह ऐलान ऐसे वक्त में किया है जब अमेरिका ने गाजा में सीजफायर को लेकर कतर में चल रही बातचीत को रोक दिया है। अमेरिका ने कहा है कि हमास का रुख इस मामले में अच्छा नहीं है।
सवाल यह है कि फ्रांस के इस फैसले से क्या इजरायल की मुश्किलें बढ़ेंगी? इस हफ्ते की शुरुआत में फ्रांस और दो दर्जन देशों ने जिसमें अधिकतर यूरोपीय देश थे, उन्होंने इजरायल के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और भोजन के लिए संघर्ष कर रहे फिलिस्तीन के लोगों के मारे जाने की निंदा की थी।
वेस्ट बैंक में इजरायल ने बसाई बस्तियां
इजरायल ने 1967 के युद्ध के बाद ईस्ट यरूशलम को अपने साथ मिला लिया था और वह उसे अपनी राजधानी का हिस्सा मानता है। वेस्ट बैंक पर उसने कई कॉलोनिया बसा ली हैं और यहां 500,000 से ज्यादा यहूदी बसे हुए हैं। इस इलाके में 30 लाख फिलिस्तीनी नागरिक भी रहते हैं और यहां इजराइल का सैन्य शासन चलता है।
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