इस धरती को रहने के लिहाज से बेहतर बनाने के लिए दुनिया भर में कई चीजें हो रही हैं। ‘अर्थ डे’ (22 अप्रैल) पर हम ऐसी ही पांच बातों का जिक्र कर रहे हैं।
1. प्रदूषण से लड़ने के लिए साथ आए हैं 195 देश: दिसंबर, 2015 में 195 देशों ने जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए साथ आने पर सहमति दी। संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में किए गए पेरिस करार के तहत इन देशों की यह एकता नजर आई। इससे यह साफ है कि दुनिया के तमाम देश जलवायु परिवर्तन को गंभीर संकट के रूप में ले रहे हैं और इनसे निपटने के लिए भी गंभीर हैं। इन देशों ने ग्लोबल वार्मिंग में 2 डिग्री सेल्सियस कमी लाने के लक्ष्य पर सहमति जताई है। ऐसा हुआ तो आने वाली पीढ़ी के लिए यह धरती ज्यादा साफ-सुथरी होगी।
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2. सौर ऊर्जा सस्ती हो रही है: जलवायु परिवर्तन का खतरा या ग्लोबल वार्मिंग कम करना है तो हमें पेट्रोल-डीजल, कोयला, गैस आदि का इस्तेमाल कम से कम करना होगा। इनके ऐसे विकल्प अपनाने होंगे जो वातावरण को प्रदूषित नहीं करें। पवन व सौर ऊर्जा इनके अच्छे विकल्प हैं। खुशी की बात है कि भले ही आंशिक तौर पर, हम सौर ऊर्जा के युग में प्रवेश कर चुके हैं। ऐसा इसलिए कहना उचित है क्योंकि सौर ऊर्जा काफी सस्ते में हम तक पहुंचना संभव हो गया है। बीते कुछ सालों में ही सौर ऊर्जा 50 फीसदी सस्ती हो गई है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी का कहना है कि वर्ष 2050 तक बिजली का सबसे बड़ा स्रोत सूर्य ही होगा।
3. ऊर्जा के प्रदूषण नहीं फैलाने वाले माध्यमों पर पिछले साल दुनिया में कोयला व गैस की तुलना में दोगुना निवेश हुआ: 2015 में दुनिया भर में ऊर्जा के प्रदूषण नहीं फैलाने वाले माध्यमों (क्लीन एनर्जी) पर 286 अरब डॉलर निवेश किया गया। इसके उलट ऑयल या कोयला से चलने वाली परियोजनाओं पर केवल 130 अरब डॉलर निवेश किए गए। यूएन एनवॉयरमेंट प्रोग्राम रिपोर्ट द्वारा जारी ये आंकड़े काफी उम्मीद जगाने वाले हैं।
4. इलेक्ट्रिक कारों की लोकप्रियता में इजाफा: पेट्रोल-डीजल से चलने वाली कारें काफी प्रदूषण फैलाती हैं। पर अच्छी बात है कि सीएनजी और बिजली से चलने वाली कारों को लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं। भारत में भले ही अभी इलेक्ट्रिक कारें उतनी लोकप्रिय नहीं हुई हैं, पर दुनिया के कई देशों में इसे खूब सराहा जा रहा है। टेस्ला मोटर्स ने इस साल 35 हजार डॉलर की इलेक्ट्रिक कार लॉन्च की है, जिसे मील का पत्थर माना जा रहा है। इसे इस बात के संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि महंगी इलेक्ट्रिक कारें भी जल्द ही लोगों को मिलने लगेंगी। यानी जो आराम आज फ्यूल से चलने वाली बेशकीमती कारों में मिल रहा है, वैसी ही आरामदेह इलेक्ट्रिक कारें भी मिलने लगेंगी। ब्लूमबर्ग का अनुमान है कि 2040 तक दुनिया भर में बिकने वाली नई कारों में 35 फीसदी हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक कारों की ही होगी।
5. आखिरकार चीन ने भी शुरू किया प्रदूषण के खिलाफ कदम उठाना: चीन की ओर से अच्छे संकेत मिल रहे हैं। लंबी निष्क्रियता और जिद के बाद अब उसने भी प्रदूषण के खिलाफ कदम उठाना शुरू किया है। उसने प्रदूषण घटाने के लिए पांच साल की योजना भी घोषित की है। वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट का कहना है कि चीन ने 2015 की तुलना में 18 प्रतिशत प्रदूषण घटाने का लक्ष्य रखा है और हमारा अनुमान है कि इससे 2005 की तुलना में 2020 तक वहां कार्बन का स्तर 48 फीसदी तक कम हो जाएगा।