नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल पूरी दुनिया में अब बढ़ रहा है, पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूत का फैलाई जा रही है। ग्लोबल एनर्जी थिंक टैंक Ember की एक रिपोर्ट सामने आई है। उस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल के पहले हाफ में दुनिया में बिजली जनरेट करने के लिए कोयले से ज्यादा नवीकरीण ऊर्जा का इस्तेमाल हुआ है। इस समय पूरी दुनिया में बिजली की डिमांड तो बढ़ ही रही है, लेकिन सोलर और विंड एनर्जी में तो 100 फीसदी की निर्णायक ग्रोथ देखने को मिली है।
Ember की रिपोर्ट के मुताबिक चीन जैसे विकासशील देश इस समय क्लीन एनर्जी को सबसे ज्यादा प्रमोट कर रहे हैं, वहीं अमेरिका और यूरोपीय संघ पहले से ज्यादा बिजली उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वैसे अगर साल 2024 की बात करें तो अभी भी बिजली उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल कोयले का ही हो रहा है, 50 सालों से इस ट्रेंड में कोई फर्क देखने को नहीं मिला है। सिर्फ चीन एक ऐसे देश के रूप में सामने आया है जिसने नवीकरणीय ऊर्जा की ओर सबसे तेज कदम बढ़ाए हैं।
चीन में सोलर और विंड एनर्जी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है और इसी वजह से जीवाश्म ईंधन उत्पादन में 2% की कमी भी दर्ज की गई है। रिपोर्ट में भारत की तारीफ भी की गई है। जोर देकर कहा गया है कि भारत में बिजली की मांग में वृद्धि धीमी रही और सौर और पवन ऊर्जा की क्षमता बढ़ाई गई। लेकिन विकासशील देश तो इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन दुनिया को ग्लोबल वॉर्मिंग की ओर धकेलने में अमेरिका और ईयू जैसे देश एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।
अमेरिका में क्लीन एनर्जी से ज्यादा बिलजी की डिमांग ज्यादा तेजी से बढ़ी है, वहीं दूसरी तरफ ईयू में भी विंड और हाइड्रो पावर के इस्तेमाल में गिरावट देखने को मिली। वहां भी कोयले की खपत ज्यादा रही है। ऐसे में विकसित देश पर्यावरण को जितना नुकसान पहुंचा रहे हैं, उसकी भरपाई विकासशील देशों द्वारा की जा रही है। यहां भी सबसे ज्यादा इस्तेमाल सौर ऊर्जा का हो रहा है, बिजली की 83 फीसदी तक बढ़ी डिमांड इससे पूरी हो रही है।
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