चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने संविधान से राष्ट्रपति के दो कार्यकाल की सीमा हटाने का प्रस्ताव रविवार को रखा। इससे राष्ट्रपति शी जिनपिंग को दूसरे कार्यकाल के बाद भी सत्ता में बने रहने का रास्ता खुल जाएगा। जिनपिंग का कार्यकाल 2023 तक है। सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने रविवार को खबर दी कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की केंद्रीय समिति ने देश के संविधान से इस उपबंध को हटाने का प्रस्ताव रखा है। इसमें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यकाल दो से ज्यादा नहीं होने का प्रावधान है। कार्यकाल की सीमा हटाने के प्रस्ताव पर सोमवार को होने वाले पार्टी के पूर्ण अधिवेशन में मुहर लग सकती है। इससे आधुनिक चीन के सबसे शक्तिशाली शासक समझे जाने वाले 64 साल के शी को असीमित कार्यकाल मिल जाने की संभावना है।
राष्ट्रपति शी ने पिछले साल सीपीसी की राष्ट्रीय कांग्रेस के बाद पांच साल के अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की है। वह सीपीसी और सेना के भी प्रमुख हैं। पिछले साल सात सदस्यीय जो नेतृत्व सामने आया था उसमें कोई भी उनका भावी उत्तराधिकारी नहीं है। ऐसे में इस संभावना को बल मिलता है कि शी का अपने दूसरे कार्यकाल के बाद भी शासन करने का इरादा है। इसके बाद से पार्टी के सभी अंग ने पिछले तीन दशक से चले आ रहे सामूहिक नेतृत्व के सिद्धांत को दरकिनार कर उन्हें पार्टी का शीर्षतम नेता घोषित कर दिया है।
शी 2013 में पार्टी के प्रमुख और राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। बाद में उन्होंने सेना के प्रमुख की कमान भी संभाली थी। वर्ष 2016 में सीपीसी ने आधिकारिक रूप से उन्हें प्रमुख नेता का खिताब दिया था। पांच साल में एक बार होने वाली सीपीसी की कांग्रेस पिछले साल शी की विचारधारा को संविधान में जगह देने पर राजी हो गई थी। यह सम्मान आधुनिक चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग और उनके उत्तराधिकारी देंग शियोपिंग के लिए ही आरक्षित था।
वैसे शी के पूर्ववर्ती जियांग जेमिन और हू जिंताओ के विचार का संविधान में उल्लेख है। लेकिन उनके नामों का जिक्र नहीं है। वर्तमान में शी या उनके चिंतन को चुनौती देने की किसी भी कोशिश को पार्टी के खिलाफ जाना माना जाएगा। रविवार की घोषणा के महज कुछ मिनट बाद शिन्हुआ ने खबर दी कि पार्टी ने संविधान में शी का राजनीतिक सिद्धांत : नए युग के लिए चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद पर शी जिनपिंग के विचार लिखने का प्रस्ताव रखा है। पार्टी ने नए सशक्त भ्रष्टाचार निरोधक निकाय ‘नेशनल सुपरवाइजरी कमीशन’ को संविधान में सरकार की नई एजंसी के रूप में शामिल करने की योजना बनाई है।