चीन ने शुक्रवार (31 मार्च) को भारत को चेताया कि अगर उसने दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश की यात्रा की इजाजत दी तो द्विपक्षीय संबंधों को ‘गंभीर क्षति’ हो सकती है। उसने भारत से यह भी कहा कि वह तिब्बत के मुद्दे पर अपने ‘राजनीतिक संकल्पों’ का सम्मान करे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने दलाई लामा के आगामी अरुणाचल दौरे के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम इस खबर को लेकर चिंतित हैं। चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से पर चीन का स्पष्ट और सतत रूख है।’’

चीन ने दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। लू ने कहा, ‘‘दलाई गुट का अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहने का निंदाजनक रिकॉर्ड है। भारत को दलाई गुट के असली व्यवहार को लेकर बहुत स्पष्ट होना चाहिए। अगर भारत दलाई लामा को इस क्षेत्र में यात्रा करने के लिए आमंत्रित करता है तो इसका द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर क्षति पहुंचेगी।’’

दलाई लामा चार से 13 अप्रैल तक अरुणाचल प्रदेश का दौरा करेंगे। इस महीने में दूसरी बार है कि चीनी विदेश मंत्रालय ने दलाई लामा की इस प्रस्तावित यात्रा को लेकर आपत्ति जताई है।

इससे पहले चीनी मीडिया ने भी भारत को धमकी दी थी। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में कहा, ‘चीन की आपत्तियों के बावजूद भारत आने वाले हफ्तों में चीन-भारत सीमा पर एक विवादित क्षेत्र में दलाई लामा की मेजबानी करेगा।’

लेख में आगे कहा गया था, ‘दलाई लामा को विवादित क्षेत्र की यात्रा करने की अनुमति देने से अनिवार्य रूप से टकराव उत्पन्न होगा, क्षेत्र की स्थिरता कमजोर होगी और भारत-चीन संबंधों में खटास पैदा होगी।’ इसमें कहा गया, ‘लंबे समय से कुछ भारतीयों ने दलाई लामा को रणनीतिक परिसंपत्ति के रूप में देखा है। वे मानते हैं कि भारत दलाई मुद्दे का इस्तेमाल कर कई लाभ हासिल कर सकता है। उदाहरण के लिए, दलाई लामा मुद्दे को दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव से निपटने के लिए एक कूटनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें कहा गया, ‘लेकिन वे अपने मूल हितों की रक्षा करने की चीन की प्रतिबद्धता को कम आंकने के साथ ही दलाई लामा और उनके समूह का कुछ ज्यादा ही राजनीतिक मोल लगा लेते हैं।’