चीन अपने यहां बने मस्जिदों पर से गुंबद और मीनारें हटाने में लग गया है। चीन के इस कदम को लेकर अब भारत के राजनीतिक दल लोगों के निशाने पर आने लगे हैं। उनकी चुप्पी को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं।

चीन ने हाल के दिनों में मस्जिदों से अरब-शैली की विशेषताओं को हटाना शुरू कर दिया है। इसे और अधिक ‘चीनी’ दिखाने के लिए इसे तोड़कर फिर से निर्माण करवाने की मुहीम चल रही है। जिनिंग में “सिनिसाइज़ेशन” अभियान चल रहा है, जिसे सिनिंग के नाम से भी जाना जाता है। यह क्षेत्र चीन में किंघई प्रांत की राजधानी है, जहां हुई समुदाय के मुसलमान रहते हैं।

इसी को लेकर पत्रकार अनंत विजय ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि चीन की वामपंथी सरकार देश के मस्जिदों के गुंबदों और मीनारों को हटा रही है। सांस्कृतिक एकीकरण के नाम पर ये किया जा रहा है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (एम) की सेंट्रल कमेटी की बैठक में इसपर किसी ने चर्चा तक नहीं की (की हो तो सार्वजनिक करें)। चीन का नाम आते ही झंडाबरदार मुंह फेर लेते हैं।

WION के अनुसार चीन के उत्तर-पश्चिमी शहर जिनिंग में स्थित डोंगगुआन मस्जिद का लगभग 700 वर्षों में कई बार स्वरूप बदला है। पहले एक चीनी शाही महल की शैली में निर्मित, टाइलों वाली छतों-गुंबदों के साथ, और बौद्ध प्रतीकों से सजी, 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान उपेक्षा से मस्जिद लगभग नष्ट हो गई थी। 1990 के दशक में, अधिकारियों ने छत और मीनारों पर मूल सिरेमिक टाइलों को हरे गुंबदों से बदल दिया। इस साल, प्रांतीय अधिकारियों ने उन गुंबदों को तोड़ दिया।

चीन देश भर में हजारों मस्जिदों से गुंबद और मीनारें हटा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि गुंबद विदेशी धार्मिक प्रभाव के प्रमाण हैं और देश के चीनीकरण में सबसे बड़ी बाधा है। हुई समुदाय के मुसलमान चीन द्वारा मान्यता प्राप्त 55 जातीय समूहों में से एक हैं।

इनकी देश में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी हैं। हुई की जनसंख्या लगभग 10.5 मिलियन है और चीन के तीसरे सबसे बड़े जातीय समूह हैं। समुदाय के सदस्यों को चीनी अधिकारियों द्वारा उइगरों मुस्लिम समुदाय की तरह सताया नहीं जाता है, क्योंकि इनका इस्लाम का संस्करण कथित तौर पर चीनी अवधारणाओं और प्रथाओं के अनुकूल है।