कनाडा के ओंटारियों प्रांत में सिख समुदाय ने चौंकाने वाले फैसला लिया है। वहां के गुरुद्वारों में भारतीय अधिकारियों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया है। कनाडा के 15 गुरुद्वारों ने एकजुट होकर यह निर्णय लिया है। इसमें कहा गया है कि व्यक्तिगत वजहों से आने वाले अफसरों को पूजा-अर्चना की इजाजत दी जाएगी। प्रतिबंधित अधिकारियों की सूची में भारतीय राजनयिक भी शामिल हैं। फैसले को लेकर जारी बयान पर बैठक में शामिल हुए प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर भी हैं। कनाडा में अच्छी-खासी संख्या में सिख समुदाय के लोग रहते हैं।
जानकारी के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों के गुरुद्वारों में प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए 30 दिसंबर को फैसला लिया गया था। इसको लेकर टोरंटो के उपनगरीय इलाके ब्रैम्पटन में स्थित जॉट प्रकाश गुरुद्वारा में बैठक की गई थी। इसके बाद बयान जारी कर फैसले की जानकारी दी गई थी। ओंटारियो गुरुद्वारा समिति के तत्वावधान में गुरुद्वारों के पदाधिकारि एकजुट हुए थे। ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेटर ओंटारियो क्षेत्र के 15 गुरुद्वारों ने एकमत से भारतीय अधिकारियों के प्रवेश को वर्जित करने के फैसले पर मुहर लगाई है। बैठक में विभिन्न गुरुद्वारों के तकरीबन 30 प्रतिनिधियों ने उपस्थिति दर्ज कराई थी। बयान में भारतीय दूतावास और भारत के सरकारी अधिकारियों पर कनाडाई सिख के जीवन में दखल देने की बात का हवाला दिया गया था। निर्णय में कहा गया कि ‘संगत’ की सुरक्षा सुनिश्चित करना गुरुद्वारा प्रबंधन समिति का दायित्व है, जिसके तहत यह फैसला लिया गया है।
ओंटारियो खालसा दरबार के अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह बल ने बताया कि समुदाय के मामलों में भारत सरकार का हस्तक्षेप बहुत बढ़ गया था। इसके चलते यह फैसला लेना पड़ा। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि निजी उद्देश्यों से आने वाले अधिकारियों पर रोक नहीं लगाई गई है। सिर्फ आधिकारिक उद्देश्यों के कारण आने वालों को प्रतिबंधित किया गया है। इस बैठक में खालिस्तान समर्थक सुखमिंदर सिंह हंसरा ने भी शिरकत की थी। उन्होंने गुरुद्वारा प्रबंधन के निर्णय का स्वागत किया है। सुखमिंदर ने आरोप लगाया कि भारतीय उच्चायोग कनाडा में सिख समुदाय के मामलों में प्रत्यक्ष तौर पर घुसपैठ कर रहा है। उनके अनुसार, वीजा जारी करने के अधिकार का इस्तेमाल सिखों को प्रभावित करने में किया जाता है।