Thailand And Cambodia War: शिव मंदिर को लेकर छिड़े युद्ध के बीच कंबोडिया अब थाईलैंड के साथ सीजफायर चाहता है। अभी तक थाईलैंड ने इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, ऐसे में स्पष्ट नहीं अगर थाईलैंड भी ऐसा चाहता है या नहीं। पिछले कुछ दिनों में इस युद्ध की वजह से 16 लोगों की मौत हो चुकी है, हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। अगर युद्ध नहीं रुकता तो आने वाले दिनों में स्थिति और ज्यादा विस्फोटक बन सकती है।

इसी बात को समझते हुए कंबोडिया के यूएन के लिए राजदूत Chhea Keo ने कहा है कि उनका देश बिना शर्त युद्धविराम चाहता है। राजदूत ने इस बात पर भी जोर दिया कि Phnom Penh भी इस मसले का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं। अब थाईलैंड का इस पर क्या रुख रहता है, इसका इंतजार करना पड़ेगा। जानकारी के लिए बता दें कि एक प्राचीन शिव मंदिर को लेकर कंबोडिया और थाईलैंड के बीच में जंग छिड़ी हुई है।

थाईलैंड और कंबोडिया आपस में क्यों भिड़ रहे हैं?

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है। यह एक सदी से भी ज़्यादा पुराना है जब कंबोडिया पर फ़्रांसीसी औपनिवेशिक कब्ज़े के दौरान दोनों देशों के बीच सीमाएं पहली बार खींची गई थीं। 2008 में जब कंबोडिया ने विवादित सीमा क्षेत्र में स्थित 11वीं सदी के एक मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में रजिस्टर करने की मांग की तो दोनों देशों के बीच दुश्मनी और बढ़ गई।

इस कदम के बाद थाईलैंड में भयंकर विरोध प्रदर्शन हुए और सशस्त्र संघर्षों की एक श्रृंखला शुरू हो गई, जिसमें सबसे घातक संघर्ष 2011 में हुआ, जब हफ़्ते भर चली लड़ाई में 15 लोग मारे गए और हज़ारों लोग विस्थापित हुए। तब से, समय-समय पर छिटपुट झड़पें होती रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप सैनिकों और नागरिकों दोनों की जानें गईं। मई में सीमा पर हुई झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद तनाव की यह मौजूदा लहर शुरू हुई। उस घटना ने संबंधों को एक दशक से भी ज़्यादा समय के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया।

भारत किसका करेगा समर्थन?

अब इस सवाल का सीधा जवाब है- भारत ऐसे मामलों में ना कभी पूरी तरह थाईलैंड का समर्थन करने वाला है और ना ही वो कंबोडिया का समर्थन करेगा। भारत तो हमेशा की तरह ऐसे मामलों में न्यूट्रल रहता है, वो बैलेंसिंग करने की कोशिश करता है। इसका भी अपना कारण है। बात चाहे थाईलैंड की हो या फिर कंबोडिया की, भारत के दोनों के साथ रिश्ते काफी अच्छे हैं।

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