कंबोडिया के पीएम ने सीजफायर घोषित कर दिया है, कई दिनों से शिव मंदिर को लेकर थाईलैंड के साथ जंग चल रही थी। इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी सीजफायर करवाने की कोशिश की थी, लेकिन तब बातचीत उतनी सफल नहीं रही और दोनों ही देश हमला करते रहे। लेकिन अब एक आम सहमति बन गई है, मलेशिया में कंबोडिया और थाईलैंड के नेता मिले हैं और सीजफायर को लेकर घोषणा की गई।
कंबोडिया के पीएम ने इस सीजफायर के बाद शांति की उम्मीद जताई है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक दोनों ही नेता ने तत्काल सीजफायर की बात कही है। मलेशिया ने भी इस घोषणा को लेकर अहम जानकारी दी है। बताया गया है कि कई देशों ने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसी वजह से पांच दिनों की खूनी जंग के बाद युद्ध रुका है। कंबोडिया के प्रधानमंत्री ने अब इस बात पर विश्वास जताया है कि इस एक ऐलान की वजह से दोनों ही देशों के आम नागरिकों की जिंदगी फिर पटरी पर आ पाएगी।
वैसे कंबोडिया के पीएम ने थाईलैंड के प्रधानमंत्री को भी शुक्रिया कहा है, उनके मुताबिक इस बातचीत में उन्होंने भी अपनी एक सक्रिय भूमिका निभाई है। अब कंबोडिया पीएम ने ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी शुक्रिया कहा है, उनके मुताबिक मध्यस्थता करवाने में उन्होंने भी एक जरूरी भूमिका अदा की।
थाईलैंड और कंबोडिया आपस में क्यों भिड़ रहे हैं?
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है। यह एक सदी से भी ज़्यादा पुराना है जब कंबोडिया पर फ़्रांसीसी औपनिवेशिक कब्ज़े के दौरान दोनों देशों के बीच सीमाएं पहली बार खींची गई थीं। 2008 में जब कंबोडिया ने विवादित सीमा क्षेत्र में स्थित 11वीं सदी के एक मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में रजिस्टर करने की मांग की तो दोनों देशों के बीच दुश्मनी और बढ़ गई।
इस कदम के बाद थाईलैंड में भयंकर विरोध प्रदर्शन हुए और सशस्त्र संघर्षों की एक श्रृंखला शुरू हो गई, जिसमें सबसे घातक संघर्ष 2011 में हुआ, जब हफ़्ते भर चली लड़ाई में 15 लोग मारे गए और हज़ारों लोग विस्थापित हुए। तब से, समय-समय पर छिटपुट झड़पें होती रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप सैनिकों और नागरिकों दोनों की जानें गईं। मई में सीमा पर हुई झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद तनाव की यह मौजूदा लहर शुरू हुई। उस घटना ने संबंधों को एक दशक से भी ज़्यादा समय के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया।