सिडनी के लिंट चॉकलेट कैफे में करीब 15 लोगों को बंधक बनाने वाले शख्स की पहचान 49 वर्षीय ईरानी शरणार्थी मान हारुन मोनिस के तौर पर हुई है। खुद को शेख हारुन कहने वाले मोनिस पर दुष्कर्म के 47 मामलों का पता चला है।
बंधक प्रकरण के आखिरी घंटों में न्यूसाउथ वेल्स पुलिस ने उसकी पहचान जाहिर करते हुए उसके आपराधिक इतिहास का खुलासा हुआ है।
मोनिस ने अफगानिस्तान में ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों की तैनाती का विरोध करते हुए वहां शहीद हुए सैनिकों के परिजनों के घृणास्पद पत्र भेजे थे। पुलिस के मुताबिक, उसका वास्तविक नाम मंतेगी बुजरुदी था जो 1996 में ईरान से भागकर ऑस्ट्रेलिया आया और उसने अपना नाम मान हारुन मोनिस रख लिया।
हालांकि स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने उसे तवज्जो नहीं दी। वह मानसिक तौर पर स्थिर नहीं था। मोनिस 2009 में एक बार अदालत में सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पेश हुआ था लेकिन बाद में अपने खिलाफ आरोपों को लेकर उसने खुद को चेन में बांध लिया।
मोनिस तब जेल से तो बच गया लेकिन उसे तीन सौ घंटों की सामुदायिक सेवा की सजा दी गई। सितंबर 2013 में उसे दो साल के अच्छे चाल-चलन का बांड भी भरना पड़ा। पिछले साल नवंबर में उसने ड्राउडिस की मदद से अपनी पूर्व पत्नी नोलीन पॉल की हत्या का प्रयास किया था।
उसकी सहयोगी अमीरा ड्राउडिस को शहीदों के परिजनों को घृणास्पद पत्र भेजने का दोषी पाया गया था।