युद्धग्रस्त देश से सीरियाई शरणार्थियों के बड़ी संख्या में पलायन के बीच ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ ने कहा है कि ब्राजील ‘‘गर्मजोशी’’ के साथ सीरियाई शरणार्थियों का स्वागत करेगा।
कल ब्राजील के स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में एक वीडियो संदेश में रोसेफ ने कहा कि वह सरकार की उस इच्छा को दोहराना चाहती हैं कि ‘‘जो भी अपना घर-बार छोड़कर यहां काम करना चाहते हैं और देश की समृद्धि एवं शांति में योगदान देना चाहते हैं, उनका पूरी गर्मजोशी से स्वागत किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘खासकर ऐसी विकट परिस्थिति और संकट की घड़ी में हमें पूरी गर्मजोशी से शरणार्थियों का स्वागत करना होगा।’’
2011 में सीरियाई संघर्ष के शुरू होने के बाद से ब्राजील ने किसी भी लातीन अमेरिकी देश की तुलना में 2,000 सीरियाई शरणार्थियों को शामिल किया है।
स्थानीय मीडिया ने अटॉर्नी जनरल बितो वास्कोनसेलोस का हवाला देते हुए अपनी खबर में कहा कि सरकार उपाय के विस्तार पर विचार कर रही है। रोसेफ ने तुर्की के तट पर बहकर आए नन्हे सीरियाई बच्चे की तस्वीर का भी संदर्भ दिया। पिछले हफ्ते चर्चा में आई यह तस्वीर अब प्रवासी संकट की प्रतीक बन चुकी है। उन्होंने कहा, ‘‘मुश्किल से तीन साल के बच्चे आयलान कुर्दी की तस्वीर ने हम सबके दिलों को छुआ है और दुनिया के सामने एक चुनौती पेश की है।’’
इस बीच, अपनी उदार शरण नीतियों के लिए लोकप्रिय डेनमार्क की पुलिस ने स्वीडन की ओर से आ रहे शरणार्थियों के समूह के लिए मोटरमार्ग बंद कर दिया। स्थानीय पुलिस ने कल दक्षिण डेनमार्क के रोडबी हार्बर से कोपनहेगन की 29 किलोमीटर लंबी सड़क बंद करने के बाद एक बयान में कहा, ‘‘ऐसा मोटरमार्ग के पास चलने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है।’’
इससे पहले, दिन में 150 शरणार्थियों ने सीमा की ओर मार्च करना शुरू किया। बाद में, इनमें से कई को डेनमार्क में शरण के लिए पुलिस स्टेशन में पंजीकरण के लिए ले जाया गया। प्रधानमंत्री लार्स लोक्के रासमुसेन ने कल एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले 24 घंटे में करीब 400 शरणार्थियों ने डेनमार्क में प्रवेश किया लेकिन बाद में कुछ ही घंटों में यह संख्या दोगुनी हो गई।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने दायित्वों की अनदेखी नहीं कर सकते हैं और इसकी सहमति के बगैर उन्हें स्वीडन नहीं भेज सकते हैं क्योंकि तब अन्य देशों की तरह हम भी वही करेंगे। यही वह कारण है जिसकी वजह से यूरोपीय शरण प्रणाली भयंकर दबाव में है।’’
वहीं, पिछले साल उरूग्वे में शरण के लिए पहुंचे सीरियाई शरणार्थियों ने अपने पुनर्वास कार्यक्रम के तहत राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि वे गरीबी में जीवन बिता रहे हैं और देश छोड़ना चाहते हैं।
36 वर्षीय माहेर एल दिस ने कहा, ‘‘हम युद्ध से इसलिए नहीं भागे कि यहां गरीबी की मौत मरें। यह जगह शरणार्थियों के लिए उपयुक्त नहीं है।’’ तकरीबन 30 बच्चों के साथ पांच परिवार कल मोंटेवीडियो के एक मुख्य चौराहे पर अपने सामान के साथ शरण ली। उनका कहना है कि जब तक वे दक्षिण अमेरिकी देश लौटने के लिए सक्षम नहीं हो जाते तभी तक वे वहां रुकेंगे।
उरूग्वे के तत्कालीन राष्ट्रपति जोस मुजिका के कार्यकाल में पिछले साल शुरू हुए पुनर्वास कार्यक्रम का लक्ष्य छोटे बच्चों के साथ आए परिवारों को शामिल करना, आवास मुहैया कराना और गुजर बसर करने लायक आय उपलब्ध कराना है। लेकिन अक्तूबर में यहां पहुंचे परिवारों का कहना है कि उरूग्वे में वे अलग थलग पड़ गए हैं और उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है।
मुजिका के बाद उरूग्वे के राष्ट्रपति बने तबारे वाजकेज ने इस साल के अंत तक सीरियाई शरणार्थियों के एक नए समूह के स्वागत के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है। कुल मिलाकर, उरूग्वे ने लेबनान में सीरियाई शरणार्थी शिविरों से 117 लोगों को शामिल करने का वादा किया है।
