बीबीसी के चेयरमैन रिचर्ड शॉर्प ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। लंबे समय से उन पर इस्तीफा देने का दबाव चल रहा था और अब शुक्रवार को उन्होंने ये बड़ा कदम उठा दिया। शॉर्प पर आरोप है कि उन्होंने ब्रिटेन के पू्र्व पीएम बोरिस जॉनसन की मदद करने के लिए ऋण से जुड़े सार्वजनिक नियुक्तियों के कुछ नियमों का उल्लंघन किया था। एक स्वतंत्र रिपोर्ट की जांच में ये बड़ा खुलासा हुआ था और उसके बाद से ही रिचर्ड के इस्तीफे की मांग हो रही थी।

क्या आरोप, जॉनसन से क्या कनेक्शन?

अभी के लिए ब्रिटेन की सरकार ने कहा है कि रिचर्ड शॉप को जून के अंत तक पद पर बने रहना होगा क्योंकि अभी उनके उत्तराधिकारी का चयन नहीं किया गया है। यहां ये समझना जरूरी है कि बीबीसी का चेयरमेन बनने से पहले शॉर्प Goldman Sachs में बैंकर थे। अब आरोप ये लगा है कि उनकी तरफ से पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन को करीब 1 मिलियन डॉलर का कर्ज दिलवाया गया था। वहीं क्योंकि तब उन्होंने इतनी बड़ी मदद पूर्व पीएम को दी, ऐस में बदले में उन्हें भी बीबीसी का चेयरमेन नियुक्त किया गया।

मामले में कैसे फंसे रिचर्ड शॉप?

वैसे इस्तीफा देने के दौरान शॉर्प ने एक जारी बयान में कहा है कि बीबीसी के हितों को प्राथमिकता में रखते हुए मैंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और उसे विदेश मंत्री और बोर्ड को भेज दिया। अब यहां ये समझना जरूरी है कि शॉर्प खुद इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि उनकी तरफ से कैबिनेट सचिव साइमन केस और मिस्टर जॉनसन के दूर के चचेरे भाई सैम बेलीथ की एक अहम मीटिंग करवाई गई थी। उसी मीटिंग में जॉनसन को कर्ज देने की पेशकश हुई थी। बड़ी बात ये है कि शॉप मीटिंग की बात स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन उनकी तरफ से कर्ज दिलवाया गया या उन्होंने अपने स्तर पर कोई मदद की, वे इस बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं।

जिसने की जांच, उनका क्या कहना है?

जानकारी के लिए बता दें कि जिन Andrew Heppinstall ने इस पूरे मामले की जांच की थी, वे भी ऑन रिकॉर्ड कह रहे हैं कि बोरिस जॉनसन के निजी कामों में शॉर्प की कोई भूमिका नहीं थी, ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं, सिर्फ उनकी तरफ से एक मीटिंग करवाई गई थी। अब तर्क जो भी दिए जा रहे हों, लेकिन ब्रिटेन में विपक्ष ने इसे सरकार को घेरने का एक बड़ा मुद्दा बना लिया है। जोर देकर कहा है गया है कि इस विवाद की वजह से बीबीसी की छवि को नुकसान पहुंचा है और उसकी स्वतंत्रता पर भी सवाल उठे हैं।