बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने देश में वर्ष 2004 में किये गये आतंकी हमले के मामले मेेंं हूजी आतंकवादी समूह के प्रमुख और उसके दो सहयोगियों को सुनाई गई फांसी की सजा को आज बरकरार रखा। वर्ष 2004 के इस आतंकी हमले में तत्कालीन ब्रिटिश उच्चायुक्त बाल-बाल बच गये थे लेकिन तीन पुलिसकर्मी मारे गये थे।  मुख्य न्यायमूर्ति सुरेंद्र कुमार सिन्हा के नेतृत्व में अपीलीय डिवीजन की चार सदस्यीय पीठ ने बांग्लादेश में हरकत-उल जिहाद अल इस्लामी (हूजी) के प्रमुख मुफ्ती अब्दुल हन्नान और उसके दो सहयोगियों की ओर से दायर की गई अपीलों को खारिज कर दिया। सिन्हा ने अपने फैसले में कहा कि अपीलों को खारिज कर दिया गया है। अगर तीनों आरोपी फैसले की समीक्षा की अपील दायर नहीं करते हैं तो उन्हें अब कुछ ही महीनों के अंदर फांसी पर लटकाया जा सकता है।

बांग्लादेश में समीक्षा में मौत की सजा को बदले देने की संभावना बहुत ही कम होती है। हन्नान और उसके दोनों सहयोगियों ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ इस वर्ष फरवरी में एक अपील दायर की थी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें तीनों दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी। वर्ष 2004 में पूर्वोत्तर सिलहट में एक इस्लामी धार्मिक स्थल पर ग्रेनेड हमले में बांग्लोदश में जन्मे, तत्कालीन ब्रिटिश उच्चायुक्त अनवर चौधरी बाल-बाल बचे थे। इस हमले में तीन पुलिसकर्मी मारे गये थे और 70 अन्य घायल हो गये थे। 23 दिसंबर, 2008 को सिलहट संभागीय त्वरित सुनवाई न्यायाधिकरण ने ग्रेनेड हमले के मामले में हन्नान, बिपुल और रिपन को मौत की सजा और दो अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।