गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका में कोहराम मचा हुआ है। सोमवार को इस्तीफा देने वाले पीएम राजपक्षे को अपनी जान बचाकर भागना पड़ गया है। मिली जानकारी के अनुसार राजपक्षे एक नौसेना बेस पर चले गए हैं। हालांकि उग्र प्रदर्शनकारी उन्हें वहां भी घेरे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर नाराज लोगों ने कम से कम 41 सत्ताधारी नेताओं के घरों को जला दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर वो इस काम को पहले अंजाम दिए होते तो ज्यादा अच्छा होता। देश बदहाल ना होता।
श्रीलंका में कई दिनों से भारी प्रदर्शन हो रहे हैं। जनता राजपक्षे परिवार से सत्ता छोड़ने के लिए कह रही है। इसी के बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनके भाई अभी भी राष्ट्रपति पद पर बने हुए हैं। जिसके कारण लोगों के बीच गुस्सा बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री के इस्तीफे के कुछ घंटे बाद गुस्साई भीड़ ने मेदामुलाना, हंबनटोटा में राजपक्षे के परिवार के पैतृक घर को आग लगा दी। इतना ही नहीं प्रदर्शनकारियों ने कई नेताओं के घरों को भी आग के हवाले कर दिया, जिस पर अमेरिका ने भी प्रतिक्रिया दी है।
अमेरिका ने कहा कि नेताओं के घरों को आग लगाए जाने के बाद वह श्रीलंका में अस्थिर स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, कर्फ्यू के बावजूद सत्ताधारी पार्टी के शीर्ष नेताओं के कम से कम 41 घरों को आग के हवाले कर दिया गया। उन घरों में खड़ी सैकड़ों मोटरसाइकिलें भी जला दी गईं हैं। एक मंत्री के जलते घर के सामने खड़े एक शख्स ने एक स्थानीय मीडिय को बताया- “हमें यह सब पहले करना चाहिए था। हमें खेद है कि ऐसा हमने पहले नहीं किया।”
एनडीटीवी के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को एक हेलीकॉप्टर में बैठाकर नौसेना बेस के लिए भेजा गया है। बताया गया कि राजधानी कोलंबो से करीब 270 किलोमीटर दूर नौसैनिक अड्डे के बाहर भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। हजारों सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी कोलंबो में उनके आधिकारिक आवास में घुस गए।
गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पीएम आवास टेंपल ट्री पर तो हमला बोला ही, साथ में राजपक्षे संग्राहलय भी तोड़ डाला। उन्होंने राजपक्षे के परिवार के पैतृक गांव में राजपक्षे संग्राहलय को जमींदोज कर दिया। यहां राजपक्षे भाइयों के माता-पिता की दो मोम की मूर्तियां भी थीं। इसके अलावा, उत्तरी-पश्चिमी कस्बे कुरुनेगला में राजपक्षे परिवार के राजनैतिक दफ्तर में भी आग लगा दी गई।
गौरतलब है कि श्रीलंका में आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत पर्यटन है, यहां दूसरे देशों से काफी लोग घूमने आते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण पर्यटन बंद होने से स्थिति काफी प्रभावित हुई है। कर्ज भुगतान के लिए सरकार को कई आयातों पर प्रतिबंध लगाने के लिए भी मजबूर होना पड़ा, जिस कारण गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति आ गई। अप्रैल में बताया गया कि श्रीलंका 51 अरब डॉलर का विदेशी ऋण चुका रहा है।