अमेरिका 1959 में परमाणु युद्ध की योजना बना रहा था। उसकी योजना पूर्वी बर्लिन, मॉस्‍को और बीजिंग जैसे बड़े शहरों को तबाह कर देने की थी। इन शहरों के रिहाइशी इलाकों को भी वह निशाना बनाना चाहता था। नेशनल आर्काइव्‍स एंड रिकॉर्ड्स एडमिनिस्‍ट्रेशन द्वारा जारी की गई एक स्‍टडी रिपोर्ट से यह बात सामने आई है। 1956 की इस रिपोर्ट में उन ठिकानों की लिस्‍ट भी है जिन्‍हें अमेरिका शीत युद्ध के दौरान अगले तीन साल में परमाणु हमलों का निशाना बनाना चाहता था।

स्‍ट्रैटेजिक एयर कमांड द्वारा की गई स्‍टडी से शीत युद्ध की प्‍लानिंग से जुड़ी कई जानकारियां सामने आई हैं। एसएसी (स्‍ट्रैटेजिक एयर कमांड) एटोमिक वेपंस रिक्‍वायरमेंट स्‍टडी फॉर 1959 नाम की इस स्‍टडी का एनालिसिस करने वाले विलियम बर ने लिखा है कि बम गिराने के लिए जिन ठिकानों को लिस्‍ट में शामिल किया गया था उनमें कई नागरिक क्षेत्र, साथी देशों के इलाके भी शामिल थे। बर जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के नेशनल सिक्‍योरिटी आर्काइव में सीनियर अनालिस्‍ट हैं।

बर ने लिखा है कि स्‍टडी रिपोर्ट लिखने वालों ने सोवियत ब्‍लॉक, शहरी औद्योगिक ठिकानों, शहर की घनी आबादी वाले इलाकों के सुनियोजित विनाश की योजना तैयार की थी। इन ठिकानों में बीजिंग, मॉस्‍को, लेनिनग्राड, ईस्‍ट बर्लिन और वॉरसा जैसे शहर शामिल थे। अमेरिकी योजना का मुख्‍य लक्ष्‍य सोवियत संघ की हवाई ताकत को खत्‍म करना था। शहरों में कहां परमाणु हमला करना था, उस जगह का निश्चित नाम सामने नहीं आया है। पर अध्‍ययन रिपोर्ट से साफ है कि लक्ष्‍य सैन्‍य ठिकानों से ज्‍यादा आम नागरिकों को खत्‍म करना था। मास्‍को में 179 और लेनिन ग्राड में 145 ठिकाने चिह्न‍ित किए गए थे। स्‍टडी में 60 मेगा टन का बम विकसित करने की बात लिखी गई है। यह बम हिरोशिमा को तबाह करने वाले बम से 70 गुना ज्‍यादा ताकतवर होता।