एअर एशिया के दुर्घटनाग्रस्त विमान के मलबे की करीब एक सप्ताह से खोज कर रहे बचाव दल ने मानसून की बारिश की वजह से हो रही समस्या के बावजूद कई शव जावा समुद्र से निकाल लिए हैं लेकिन कुछ शव अब भी सीटों पर बेल्ट से बंधे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि अब तक 30 शव निकाले जा चुके हैं। इनमें से 21 शव शुक्रवार को खोजे गए। ज्यादातर शवों की खोज अमेरिकी नौसैनिक पोत ने की। यह एअरबस ए320 कुल 162 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को लेकर इंडोनेशिया के दूसरे सबसे बड़े शहर सुरबाया से सिंगापुर जा रही थी। उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद यह विमान रडार से ओझल हो गया और दुर्घटनाग्रस्त होकर जावा सागर में जा गिरा।
विमान का हवाई यातायात नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूटने से कुछ ही देर पहले इसके पायलट ने उसे बताया था कि वह खतरनाक बादलों की ओर बढ़ रहा है। लेकिन उसे भारी हवाई यातायात की वजह से और अधिक ऊंचाई पर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी।
अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि विमान किस तरह दुर्घटनाग्रस्त होकर समुद्र में गिरा। एअर एशिया ने 2001 में परिचालन शुरू किया था जिसके बाद से यह उसका पहला विमान हादसा है। शुरू होने के बाद से एअर एशिया सर्वाधिक पसंदीदा किफायती विमान सेवा बन गई। इंडोनेशिया के प्राधिकारियों ने एअर एशिया के सुरबाया से सिंगापुर जाने वाले विमानों को उड़ान नहीं भरने दी क्योंकि परिवहन मंत्रालय ने कहा है कि एअरलाइन को रविवार को विमान परिचालन की अनुमति नहीं है। एअर एशिया ने कहा है कि वह इस रोक की समीक्षा कर रही है।
राष्ट्रीय खोज व बचाव एजंसी के अभियान निदेशक सुरयादी बी सुप्रियादी ने बताया कि कुल 13 विमानों और 30 पोतों में सवार खोजी दलों ने आज पीड़ितों और मलबे की तलाश के लिए अपना दायरा विस्तृत कर दिया। हालांकि समुद्र में तीन मीटर तक ऊंची उठती लहरों की वजह से अभियान अभी भी धीमा है।
पोतों में सिंगापुर, मलेशिया और अमेरिका से आए आठ अत्याधुनिक पोत शामिल हैं जिनमें समुद्र के तल में मलबे और महत्वपूर्ण ब्लैक बॉक्स की खोज के लिए नवीनतम उपकरण लगे हैं। सुप्रियादी ने बताया, ‘समझा जाता है कि कई यात्री विमान के मलबे में फंसे हैं और जल्द ही उनका पता लगाया जा सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर ईश्वर ने चाहा तो हम अगले सप्ताह यह अभियान पूरा कर लेंगे।’