वैश्विक स्तर पर अमेरिका और चीन के बीच छिड़े ट्रेड-वॉर की गाज भारत पर भी गिरती नज़र आ रही है। दुनिया की दो बड़ी आर्थिक शक्तियों में इन दिनों तनातनी का माहौल है। इस बीच अमेरिका ने भारत को भी चेतावनी दी है कि भारत द्वारा किसी भी तरह के प्रतिक्रिया में लगाया गया शुल्क WTO (वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन) के मुताबिक सही नहीं माना जाएगा। मंगलवार को अमेरिका के वाणिज्य सचिव विलबर रॉस ने कहा, “सरकारें एक दूसरे के खिलाफ विपरीत निर्णय लेती हैं, आपको उसमें सहयोग देना होगा।” रॉस ने कहा कि वह नहीं मानते कि WTO के नियम के तहत भारत के द्वारा प्रतिक्रिया में उठाया गया कदम कहीं से भी सही है।
रॉस ने कहा कि भारतीय प्रतिबंधों और शुल्क की वजह से अमेरिकी कंपनियों को कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “भारत में लगने वाला शुल्क दुनिया में सबसे अधिक है। भारत का औसत शुल्क दर 13.8 फीसदी है।” विलबर रॉस ने उदाहरण के जरिए कहा कि भारत में वाहनों पर 13.8 प्रतिशत की दर से शुल्क है, जबकि अमेरिका में यह दर 2.5 फीसदी है। इसके अलावा कई उत्पादों पर भारत 150 फीसदी से 300 फीसदी तक शुल्क वसूलता है। रॉस ने कहा, “अमेरिकी कंपनियां भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और दूसरी योजनाओं के प्रति सकारात्मक नजरिया रखती हैं। लेकिन, व्यापार में भेदभाव की भी एक सीमा होती है। और हमारा काम समानता लाना है।”
गौरतलब है कि भारतीय अधिकारियों ने मार्च के आखिर में ट्रंप द्वारा भारत को जीएसपी (Generalized System of Preferences) से बाहर करने के ऐलान के बाद अमेरिका के 20 उत्पादों पर अधिक आयात शुल्क लागू कर दिया। इसके अलावा अमेरिकी नीतियों के चलते भारत को क्रूड ऑयल भी अब महंगे दरों पर खरीदना पड़ेगा। अमेरिका ने ईरान से क्रूड ऑयल आयात करने को लेकर भारत पर प्रतिबंध लगा दिया है।
वैश्विक स्तर पर अमेरिका की व्यापारिक नीतियां काफी आक्रामक होती जा रही हैं। व्यापारिक गतिरोध में अमेरिका के सामने चीन सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। दो आर्थिक शक्तियों के ट्रेड-वॉर से बाकी देशों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। पिछले दिनों ट्रंप ने ट्वीट करके चीन की आर्थिक नीतियों की आलोचना की थी और धमकी दी थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया, “चीन 10 माह से 50 अरब डॉलर की वस्तुओं पर अमेरिका को 25 फीसदी और 200 अरब डॉलर की वस्तुओं पर 10 फीसदी शुल्क दे रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन के लिए यह मायने रखता है। शुक्रवार को इस 10 फीसदी शुल्क को बढ़ाकर 25 फीसदी किया जाएगा।” ट्रेड-वॉर पर ‘इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड’ (IMF) की मुखिया क्रिस्टिन लेगार्ड ने भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, “चीन और अमेरिका के बीच का तनाव दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है।”