चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब अन्य देश भी इसरो की राह पर अपने मून मिशन लॉन्च कर रहे हैं। चंद्रयान-3 के साथ ही रूस ने भी अपना मून मिशन लूना-25 लॉन्च किया था। हालांकि चांद की सतह पर उसकी क्रैश लैंडिंग हुई और मिशन फेल हो गया। गुरुवार को जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने अपना मून मिशन ‘मून स्नाइपर’ लॉन्च किया। इसे स्थानीय समय के मुताबिक सुबह 8.42 बजे (भारतीय समय 5.12) H2-A रॉकेट जापान के तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। इसके चंद्रमा लैंडर को ले जाने वाला रॉकेट H-IIA से लॉन्च किया गया। बता दें कि मौसम की खराबी के चलते पिछले महीने एक हफ्ते में तीन बार मिशन स्थगित करना पड़ा था। इसे चांद पर पहुंचने में 4 से 6 महीने का समय लग सकता है।

क्या है मिशन की खासियत?

जापान ने अपने इस मून मिशन को खात तौर पर ब्रह्मांड के विकास की जांच के किए डिजाइन किया है। इसमें एक्स-रे इमेजिंग उपग्रह के अलावा एक स्मार्ट लैंडर भी भेजा गया है। यह चांद की सतह पर सफलता पूर्वक लैंडिंग की कोशिश करेगा। इस लैंडर को जापान ने अपने सबसे भरोसेमंद एच2ए रॉकेट के जरिए चांद पर भेजा है। इसके लैंडर में हाई टेक्नोलॉजी के कैमरे लगे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक इसकी जांद की सतह पर लैंडिंग अगले साल हो सकेगी।

जापान ने रॉकेट के जरिए दो अंतरिक्ष यान लॉन्च किए गए हैं। पहला एक एक्स-रे टेलीस्कोप और दूसरा एक हल्का चंद्रमा लैंडर है। यह टेलीस्कोप सुबह 8.56 बजे अलग हो गया और चंद्रमा लैंडर 9.29 बजे अलग हुआ। दूसरी तरफ चीन ने अपने तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन का काम पूरा कर लिया है। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक जापानी स्पेस पॉलिसे एक्सपर्ट काजुटो सुजुकी ने कहा, ‘यह जापानी अंतरिक्ष समुदाय के लिए निर्णायक क्षण है।’ गुरुवार को हुई लॉन्चिंग विश्व स्तर पर चंद्रमा के एक्सप्लोरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस मिशन की सफलता जापान को प्रथम श्रेणी के ग्रुप में शामिल करेगी।’