वरिष्ठ पत्रकार संजय बारू ने आज यहां कहा कि आम धारणा के विपरीत पीवी नरसिम्हा राव को कांग्रेस के सांसदों ने वर्ष 1991 में प्रधानमंत्री के तौर पर चुना था और उन्हें इस पद के लिए नामित नहीं किया गया था। बारू ने राव के प्रधानमंत्री बनने की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक परिचर्चा में कहा, ‘‘19 मई 1991 को शरद पवार ने घोषणा की थी कि वह एक उम्मीदवार है। अर्जुन सिंह ने घोषणा की कि वह एक उम्मीदवार हैं और नरसिम्हा राव ने भी घोषणा की थी कि वह एक उम्मीदवार हैं। कांग्रेस संसदीय दल ने 20 जून 1991 को नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री चुना क्योंकि संपूर्ण दक्षिण भारत, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के भी अधिकतम सदस्य राव को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे।’’
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार के तौर पर काम कर चुके बारू ने कहा, ‘‘केवल महाराष्ट्र के सांसदों ने शरद पवार का समर्थन किया। उत्तर भारत के कुछ सांसदों ने अर्जुन सिंह का समर्थन किया। इसलिए नरसिम्हा राव एक चयनित प्रधानमंत्री थे। वह नामित नहीं थे।’’
उन्होंने कहा कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर आई जी पटेल वित्त मंत्री पद के लिए राव की पहली पसंद थे लेकिन पटेल के प्रस्ताव ठुकरा देने के बाद उन्होंने मनमोहन सिंह से संपर्क किया। बारू ने कहा, ‘‘नीति में विभिन्न बदलावों का सुझाव देने वाली कई रिपोर्टें कई समितियों ने सौंपी थीं। नीतियों में कोई भी बदलाव उन पांच वर्षों में लागू नहीं किया गया जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे।.. वह नरसिम्हा राव ही थे जिन्होंने इन नीतियों को लागू करने का फैसला किया।’’