कार्तिक मास की शुक्ल अष्टमी को ‘गोपाष्टमी’ के रुप में मनाया जाता है। इस दिन प्रात:काल गायों को स्नान करवाकर गंध-पुष्पादि से उनका पूजन किया जाता है। इस दिन गायों को हरी घास खिलाकर उनकी परिक्रमा की जाती है। माना जाता है ऐसा करने से सभी प्रकार के दोष खत्म हो जाते हैं और सभी कार्य पूरे हो जाते हैं। शाम को भी उनका आतिथ्य, अभिवादन और पंचोपचार-पूजन करके उन्हें हरी घास, भोजन आदि खिलाएं और उनकी चरणरज ललाट पर लगायें। इससे सौभाग्य की वृद्धी होती है। आइए जानते हैं गाय के बारे में विशेष बातें-
1 . गाय को धरती का सबसे बड़ा वैध माना जाता है।
2. हिंदू संस्कृति में गौमाता की सेवा सबसे उत्तम मानी गई है।
3. शुद्ध भारतीय नस्ल की गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नाम की एक विशेष नाढ़ी होती है, जब इस नाढ़ी पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो स्वर्ण के सूक्ष्म कणों का निर्माण करती हैं , इसीलिए गाय के दूध, मक्खन और घी में पीलापन रहता है , यही पीलापन अमृत कहलाता है और मानव शरीर में उपस्थित विष को खत्म करता है।
4. गाय को सहलाने वाले के कई असाध्य रोग मिट जाते हैं, क्यूंकि गाय के रोमकूपों से सतत एक विशेष ऊर्जा निकलती है।
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5. गाय की पूछ के झाड़े से बच्चों का ऊपरी हवा एवं नजर से बचाव होता है।
6. गौमूत्र एवं गोझारण के फायदे तो अनंत हैं , इसके सेवन से कैंसर व शुगर के कीटाणु नष्ट होते हैं।
7. गाय के गोबर से लीपा पोता हुआ घर जहां सात्विक होता है वहीं इससे बनी गौ-चन्दन जलाने से वातावरण पवित्र होता है इसीलिए गाय को पृथ्वी पर सबसे बड़ा वैद्यराज माना गया है