समुद्र शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के हाथों की बनावट, रंग, चिन्ह और इसी तरह हथेली पर मौजूद पर्वतों को देखकर बहुत कुछ जानकारी हासिल की जा सकती है। उंगलियों के ठीक नीचे वाले स्थान पर मौजूद पर्वतों के उभार से इस बात का पता चलता है कि कौन सा ग्रह कितना मजबूत है और कौन सा ग्रह कमजोर। इन पर्वतों के विकास को तीन भागों में रखा जाता है विकसित पर्वत, अविकसित पर्वत और सामान्य पर्वत। अंगूठे के नीचे वाला स्थान शुक्र पर्वत का होता है। इस ग्रह को सौंदर्य, ऐश्वर्य और भोग का प्रतीक माना जाता है। अगर यह पर्वत उभरा हुआ है तो इससे व्यक्ति भावुक और उदार होता है। लेकिन इस पर्वत का ज्यादा उभरा होनी व्यक्ति को कामुक बनाता है। अगर हथेली में यह पर्वत दबा हुआ है तो इससे शारीरिक समस्याएं होती हैं।
इसी तरह तर्जनी के नीचे वाला भाग गुरु का होता है। विकसित गुरु पर्वत वाला व्यक्ति शक्तिशाली और महत्वाकांक्षी होता है। अगर यह पर्वत अधिक उभरा हुआ है तो ऐसा व्यक्ति घमंडी और अपने सामने सबको छोटा समझता है। यदि पर्वत दबा हुआ हो तो व्यक्ति को निम्न स्तर के कार्यों में उलझाने वाला होता है। मध्यमा उंगली के नीचे स्थित शनि पर्वत अगर अच्छे से उभरा हुआ है तो ऐसे व्यक्ति बुद्धिमान और गंभीर होते हैं। लेकिन इस पर्वत का अधिक उभार व्यक्ति को उदासीन, अध्यात्मवादी और दार्शनिक बनाता है।
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अनामिका के नीचे वाले भाग में सूर्य पर्वत का स्थान होता है। इस पर्वत का उभरा होना सौंदर्य, यश और प्रतिष्ठा का प्रतीक है। और यदि यह क्षेत्र दबा हुआ हो तो मंदबुद्धि और ख्याति विहीनता प्रकट करता है। लेकिन इस पर्वत पर तीन खड़ी रेखाएँ हों तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। लेकिन यहां अगर रेखाएं आड़ी हो तो यह अच्छी नहीं मानी गयी है। इससे व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कनिष्ठा के नीचे वाला बुध पर्वत अगर विकसित है तो ऐसे व्यक्ति वाक्शक्ति से प्रखर होते हैं। साथ ही ऐसे लोग यात्राएं बहुत करते हैं। लेकिन इनका मन अस्थिर रहता है। अगर यह पर्वत दबा हुआ हो तो विवेकहीनता प्रकट करता है।