रंभा एकादशी व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं, व्रत करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है। 15 अक्टूबर को रंभा एकादशी का शुभ संयोग हैं। यह एकादशी कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। शादीशुदा महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत ही सुख देने वाला माना जाता है। यह एकादशी दिवाली के चार दिन पहले आती है। यह चातुर्मास की आखिरी एकादशी होती है। इस व्रत में तुलसी की पूजा एवं भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करने से बड़ा लाभ मिलता है। इस दिन व्रत करने वाले को ‘नमो नारायणाय’ या ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करना चाहिए।
इस एकादशी के दिन मिट्टी का लेप कर स्नान करना चाहिए। इसके बाद लक्ष्मी नारायण की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत में गेहूं, जौ, मूंग, उड़द, चना, चावल, मसूर दाल और प्याज का प्रयोग नहीं करना चाहिए। साथ ही हिंसा, दातून करने, दिन में सोने और बुरे मनुष्यों से बातचीत से बचना चाहिए। व्रत करने वाले को मौन रहकर गीता का पाठ करना चाहिए। इस एकादशी की रात को जागरण करते हुए कथा सुननी चाहिए। इस व्रत को करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है तथा स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
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शास्त्रों में इस व्रत के अगले दिन भगवान का पूजन कर ब्राह्मण को भोजन और दान देने का विधान बताया गया है। रमा एकादशी के व्रत को करने से परिवार में धन की कमी दूर हो जाती है।