साल 2018 का पहला पुष्य नक्षत्र 03 जनवरी बुधवार को है। पुष्य नक्षत्र बुधवार की सुबह लगभग 9 बजे से शुरू होगा और रात 12 बजे तक रहेगा। पुष्य-नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा माना जाता है। बुधवार को होने के कारण इसे बुध पुष्य नक्षत्र कहा जाएगा। कहा जाता है भगवान राम का जन्म पुष्य-नक्षत्र में हुआ था। माना जाता है कि पुष्य-नक्षत्र में शुरू किया गया काम सफल हो जाता है। पुष्य नक्षत्र में खरीददारी करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान गाड़ी, घर, जमीन खरीदना शुभ माना जाता है। अगर पुष्य नक्षत्र रविवार या गुरुवार के दिन हो तो यह बेहद शुभदायक माना जाता है। पुष्य एक अन्ध नक्षत्र है। पुष्य-नक्षत्र में खोई हुई वस्तु शीघ्र प्राप्त हो जाती है। गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र अशुभ माना जाता है। कहा जाता है यह उत्पात और बाधाकारक होता है। विवाह में पुष्य नक्षत्र को अशुभ माना गया है।

इस नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं और बृहस्पति देव की अधिष्ठता होती है। पुष्य नक्षत्र में किए गए काम स्थाई रूप से फायदा देता है। बृहस्पति की अधिष्ठता के कारण उस काम से समृदि्ध आती है।

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शास्त्रों में पुष्य नक्षत्र के बारे में लिखा श्लोक – 

सिध्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि सिध्यः |
पुष्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि इति पुष्य ||

ये उपाय करें– बुधवार की शाम सूर्यास्त के समय गणेश भगवान को दूर्वा चढ़ाएं। इसके अलावा गणेश जी को 2 लाल गुलाब भी चढ़ाएं। तिजोरी के स्थान पर केसर और चंदन से स्वस्तिक बनाएं। स्वस्तिक पर पीले कपड़े में गणेश को चढ़ा हुआ एक गुलाब रखें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।