देवउठनी एकादशी या प्रबोधनी एकादशी इस साल 31 अक्टूबर मंगलवार को मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन 4 महीने सोने के बाद भगवान विष्णु जगते हैं। इसलिए इसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ तुलसी की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है। तुलसी का विवाह शालिग्राम (विष्णु का स्वरूप) से करवाया जाता है। मान्यता है कि जिन लोगों को आर्थिक समस्या होती है वह इस दिन व्रत कर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं।
इस दिन तुलसी का विशेष पूजन किया जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्री शालिग्राम का विवाह तुलसी से हुआ था। तब से तुलसी का विवाह शालिग्राम रूपी भगवान श्री कृष्ण से किया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में प्रबोधनी एकादशी का व्रत कर तुलसी का विवाह भगवान श्री कृष्ण से करवाते हैं। इसके बाद प्रसाद के रूप में चरणामृत बांटते हैं। तुलसी को धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष महत्व दिया जाता है। तुलसी के पौधे का इस्तेमाल यज्ञ, हवन, पूजन, कर्मकांड, साधना और उपासना आदि में होता है। इसके अलावा तुलसी का इस्तेमाल पवित्र भोग, प्रसाद आदि में किया जाता है। भगवान के चरणामृत में भी तुलसी दल का उपयोग किया जाता है। इस दिन मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा होती है।
इस दिन क्या करें –
1. सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद तुलसी को जल चढ़ाएं। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और ओढ़नी अर्पित करें। साथ ही सुहाग सामग्री चढ़ाएं। अगले दिन इन सामान को किसी सुहागिन को दान करें।
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2. इस दिन सुबह स्नान करने के बाद सूर्य को जल अर्पित करें। जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का प्रयोग करें। जल अर्पित करने के बाद इस मंत्र का जाप करें- ऊं सूर्याय नम:। ऊं भास्कराय नम:।
3. शाम को भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा में दक्षिणावर्ती शंख, कमल गट्टे, गोमती चक्र, पीली कौड़ी भी रखें।