हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए वास्तुशास्त्र खास महत्व रखता है। वास्तुशास्त्र में घर पर प्रयोग में आने वाली हर वस्तु के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया गया है। क्या आप जानते हैं कि वास्तु के हिसाब से आपके द्वारा पहने जाने वाले कपड़े का भी आपकी किस्मत पर काफी प्रभाव पड़ता है। क्या आपने कभी सोचा है कि वास्तुशास्त्र में गंदे और फटे कपड़े पहनने के लिए क्यों मना किया गया है? यदि नहीं तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने वाले हैं। इसके साथ ही इस बात का भी उल्लेख किया जाएगा कि कौन से कपड़े पहनने शुभ माने जाते हैं। और नए कपड़े पर लगने वाली दाग या उसके जलने का क्या मतलब निकाला जाता है।
बता दें कि सनातन धर्म में बिना सिले हुए कपड़ों को पहनना सात्विक माना गया है। बिना सिले हुए कपड़े यानी कि धोती और साड़ी को पहनने से जीवन में सकारात्मकता आने की बात कही गई है। वास्तुशास्त्र की मानें तो गंदे कपड़े पहनने से शरीर पर रजोगुण और तमोगुण का प्रभाव बढ़ जाता है। ऐसा होने पर व्यक्ति की मानसिक स्थिति खराब होने लगती है। उस व्यक्ति के जीवन से एकाग्रता चली जाती है और वह खुद को काफी परेशान महसूस करने लगता है।
इसके साथ ही फटे कपड़े पहनने से सात्विक विचारों के हनन होने की बात कही गई है। ऐसा होने पर व्यक्ति कई तरह के नकारात्मक विचारों से घिर जाता है। वास्तु में सूती और रेशमी कपड़ों को पहनने की सलाह दी गई है। कहा जाता है कि सूती और रेशमी कपड़े पहनने से जीवन में सकारात्मकता आती है। ऐसे लोग उत्साह से भरे होते हैं और निरंतर नए लक्ष्यों की ओर बढ़ते जाते हैं। मालूम हो कि नए कपड़े पर अचानक से लगने वाली दाग या उसके फट जाने को अशुभ माना गया है। ऐसा होने पर माना जाता है कि जीवन में कोई अशुभ घटना हो सकती है।
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