मंगेशी गोवा में एक प्रमुख मंदिर है। यहां भगवान शिव शिवलिंग रुप में मौजूद हैं। कहा जाता है कि यहां भगवान शिव बाघ के रूप में देवी पार्वती के सामने प्रकट हुए थे। जिसे देखकर माता घबरा गईं और उनके मुंह से रक्षाम् गिरीश शब्द निकला। तब से भगवान शिव यहां मंगिरीश के नाम से पूजे जाने लगे। गोवा शहर में स्थित इस मंदिर को लेकर लोगों की काफी आस्था है। माना जाता है कि इन मंदिर की स्थापना 18वीं शताब्दी में की गई थी।
इस मंदिर की वास्तुकला भी काफी विशेष है। यह मंदिर गोवा के ही एक मंदिर शांतादुर्गा की शैली में बना हुआ है। करीब 450 साल पुराना यह मंदिर देखने में काफी सुंदर है। यहां एक पानी का कुंड भी है, जो इसके प्राकृतिक सौंदर्य को और भी ज्यादा बढ़ा देता है। यहां सभी स्तंभ पत्थर के बने हैं और इस मंदिर में एक भव्य दीपस्तंभ भी है। मंदिर के अंदर कई गुंबद और झरोखे भी है। यहां भगवान शिव के प्रिय नंदी भी विराजमान हैं और मंदिर के बीच में एक भव्य सात मंजिला दीपस्तंभ है। जहां काफी संख्या में लोग खड़े हो सकते हैं।
मान्यता है कि इस शहर की रचना भगवान परशुराम ने की थी। यह शहर प्राचीन कोंकण क्षेत्र का एक हिस्सा था। कहते हैं परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणों से समुद्र को कई स्थान पीछे धकेल दिया था। यही कारण है कि गोवा के कई स्थानों का नाम बाणस्थली है। उत्तरी गोवा में हरमल के पास भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।
इस मंदिर में दिन में किसी भाी समय दर्शन किये जा सकते हैं। और हर सोमवार यहां एक महाआरती भी की जाती है। सोमवार को ही यहां पालकी पर भगवान की प्रतिमा की यात्रा भी निकाली जाती है। जानकारों के मुताबिक पुर्तगाली आक्रमण से मंदिर को बचाने के लिए शिवलिंग को मूल मंदिर से हटाकर प्रियोल के वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित कर दिया था। यह घटना सन्1560 में हुई थी। फिर सोंडे के राजा ने मंदिर परिसर के लिए भूमि दान दी। उसके बाद सन् 1973 में मंदिर के गुम्बद पर स्वर्ण-कलश की स्थापना की गई।