हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इस वर्ष गुरूवार दिनांक 18 फरवरी 2016 को जया एकादशी पड़ रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 18 फरवरी 2016 को महाअशुभ भद्रा आ रही है। जिसके कारण जया एकादशी का शुभ पर्व भद्रा में ही मनाया जाएगा। भद्रा प्रात: 9 बजकर 46 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 35 मिनट तक रहेगी परंतु स्वर्गवासी भद्रा होने के कारण यह अत्यधिक अशुभ नहीं होगी। गरुवार का दिन होने का कारण जया एकादशी का पुण्य पर्व विशेष बन गया है। इस दिन शुभ प्रीति योग रहेगा। उसके साथ-साथ आनंददायी काना योग भी रहेगा जो सिद्धि का सूचक है।

जया एकादशी के विषय में जो कथा प्रचलित है उसके अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर भगवान श्री कृष्ण से निवेदन करते हैं कि माघ शुक्ल एकादशी को किनकी पूजा करनी चाहिए, तथा इस एकादशी का क्या महत्व है। कृष्ण कहते हैं माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को “जया एकादशी” कहते हैं। यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है, इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है।

जया एकादशी पर्व का शास्त्रों में अत्यधिक बखान किया गया है। शास्त्र पदम पुराण के अनुसार जया एकादशी पर्व पर भगवान विष्णु के पदम स्वरूप का विधिवत पूजन करने से व्यक्ति को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिलती है तथा कभी भी भूत-पिशाच योनि प्राप्त नहीं होती और भगवान विष्णु उसके लिए स्वर्ग के द्वार खोल देते हैं। भगवान विष्णु का प्यार और स्नेह के इच्छुक परम भक्तों को दोनों दिन एकादशी व्रत करने की सलाह दी जाती है।