दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान हो जिसकी जिंदगी में कोई दुख नहीं हो। हर इंसान किसी न किसी चीज को लेकर के परेशान रहता है। और उनका हल निकालने की बजाय अपने दुखों को और बढ़ा लेता है। जैन मुनि तरुण सागर महाराज ने अपने प्रवचन के माध्यम से बताया है कि सुखी रहने के लिए आपको अपने अंदर परिवर्तन करना होगा बजाय दूसरों में परिवर्तन लाने के। लेकिन आज के समय में हम दूसरों को बदलने में लग जाता हैं जब्कि सामने वाला वो है जो कभी नहीं बदलेगा। इसलिए बेहतर यही होता है कि आप अपने अंदर बदलाव लाएं। तभी आपके जीवन में परिवर्तन आयेगा। जानिए मुनि तरुण सागर महाराज द्वारा प्रवचनों के माध्यम से मानव समाज को और कौन-कौन सी सीख दी  गई हैं…

– दुख हर किसी के जीवन में आता है। चाहें वो अमीर हो या गरीब, चाहे ज्ञानी हो या अज्ञानी। लेकिन केवल फर्क इतना सा है कि कोई दुख से निपट लेता है और किसी को दुख निपटा देता है।

– जीवन को सुंदर बनाने के लिए अपनी भूल को करो कबूल, मन में ना रखो कोई शूल, दूसरों से हो जाए कोई भूल, तो उसे तुरंत जाना भूल क्योंकि इससे आपका जीवन हो जायेगा ब्यूटीफुल। अगर आप अपने परिवार को स्वर्ग बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको दूसरों की भूल को नजरअंदाज करना होगा।

– आधे दुख तो हमारे हो सकते हैं लेकिन बाकी आधे दुख हमारे दूसरों से यानी पड़ोसियों से और दुश्मनों से उधार लिये होते हैं। जैसे अमेरिका में बिजली जाती है तो वे लोग बिजली विभाग में फोन करते हैं लंदन में जाती है तो बल्ब का फ्यूज चेक करते हैं और जब इंडिया में लाइट जाती है तो पड़ोसियों के घर में झाककर देखते हैं कि इनकी गई क्या। इसलिए जीवन में एक बात याद रखना की चार दिन जीवन में खुशियां लाने वाले होंगे, ये चार दिन आपको अमीर नहीं बनायेंगे लेकिन मन से अमीर होंगे।

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– इंसान को कभी दो चीजों को नहीं भूलना चाहिए एक है उसका भगवान और दूसरी है उसकी मृत्यु। और दो चीजें जिसे तुरंत भूल जाना चाहिए एक वो जब किसी ने तुम्हारे साथ बुरा किया हो, दूसरी वो जब तुमने किसी के साथ भला किया हो। क्योंकि अगर आप भला करके नहीं भूलेंगे तो आप में अहंकार आ सकता है।