आचार्य चाणक्य एक महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। चाणक्य नीतिशास्त्र चाणक्य द्वारा रचित एक नीति ग्रंथ है। इस ग्रंथ का मुख्य उद्देश्य मानव समाज को जीवन के प्रत्येक पहलू की व्यवहारिक शिक्षा देना है। चाणक्य नीतियों के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है। इनकी नीतियों ने भारत के इतिहास को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जानिए चाणक्य की 10 महत्वपूर्ण नीतियां…
– मूर्ख छात्रों को पढ़ाने तथा दुष्ट स्त्री के पालन पोषण से और दुखियों के साथ संबंध रखने से, बुद्धिमान व्यक्ति भी दुखी रहता है। इसका तात्पर्य यह है कि मूर्ख शिष्य को कभी भी उपदेश नहीं देना चाहिए, पतित आचरण करने वाली स्त्री की संगति करना ताथा दुखी मनुष्यों के साथ समागम करने से विद्वान तथा भले व्यक्ति को दुख ही उठाना पड़ता है। इसलिए इन लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
– दुष्ट स्त्री, छल करने वाला मित्र, पलटकर तीखा जवाब देने वाला नौकर तथा जिस घर में सांप रहता हो, उस घर में रहने वाले गृहस्वामी की मौत पर संशय न करे। वह निश्चित मृत्यु को प्राप्त होता है।
– चाणक्य अनुसार विपत्ति के समय काम आने वाले धन की रक्षा करे। धन से स्त्री की रक्षा करे और अपनी रक्षा धन और स्त्री से सदा करें।
– आपत्ति से बचने के लिए धन की रक्षा करें क्योंकि पता नहीं कब आपदा आ जाए। लक्ष्मी तो चंचल है। संचय किया गया धन कभी भी नष्ट हो सकता है।
– जिस देश में सम्मान नहीं, आजीविका के साधन नहीं, बन्धु-बांधव अर्थात परिवार नहीं और विद्या प्राप्त करने के साधन नहीं, वहां कभी नहीं रहना चाहिए।
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– जहां धनी, वैदिक ब्राह्मण, राजा, नदी और वैद्य, ये पांच न हों, वहां एक दिन भी नहीं रहना चाहिए। अर्थात जिस जगह पर इन पाचों चीजों का अभाव हो, वहां मनुष्य का एक दिन भी ठहरना उचित नहीं होता है।
– चाणक्य अनुसार कुछ लोगों की परीक्षा बुरा समय आने पर लेनी चाहिए। जैसे भाई-बंधुओं को संकट के समय, दोस्तों को विपत्ति के समय और अपनी स्त्री को धन के नष्ट हो जाने पर परखना चाहिए। क्योंकि वही आपका अपना है जो मुश्किल घड़ी में भी आपका साथ नहीं छोड़ता है।