‘हार्ट फेलियर’ एक डरावना शब्द है, यह ऐसी स्थिति है, जिसे कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि अक्सर यह कई अन्य जानलेवा बीमारियों का कारण बन जाता है। हालांकि बहुत से लोग इस रोग के निदान के बाद भी दवाओं और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर सामान्य जीवन जी सकते हैं।

क्यों होता है हार्ट फेलियर? हार्ट फेलियर तब होता है, जब दिल की मांसपेशियां खून को ठीक से पम्प नहीं कर पातीं। धमनियों के संकरे होने, उच्च रक्तचाप के कारण दिल धीरे धीरे कमज़ोर होने लगता है और उसकी पम्प करने की क्षमता कम होती चली जाती है। हार्ट फेलियर के मरीज़ को अक्सर जल्दी थकान होती है, वे अपने रोज़मर्रा के काम करने
मे थकने लगते हैं। इसके कुछ अन्य लक्षण हैं, सांस फूलना, टांगों या टखनों में सूजन।

जोखिम के कारण क्या हैं?
– हालांकि आजकल युवाओं- व्यस्कों में हार्ट फेलियर के मामले बढ़ रहे हैं, किंतु बड़ी उम्र के लोगों में इसकी संभावना अधिक होती है।
– जिन लोगों के माता-पिता या परिवार में दिल की बीमारियों का इतिहास हो, उनमें हार्ट फेलियर की संभावना अधिक होती है।
– जन्मजात दिल की बीमारियों या दिल के वॉल्व की बीमारियों से पीड़ित मरीज़ों में इसकी संभावना अधिक होती है।
– उच्च रक्तचाप से इसकी संभावना बढ़ती है, क्योंकि ऐसे मामलों में दिल को पम्प करने के लिए ज़्यादा काम करना पड़ता है।
– बहुत ज़्यादा तंबाकू या शराब का सेवन।
– ओबेसिटी या मोटापा
– दिल की अनियमित धड़कन
– स्लीप एप्निया या नींद के दौरान सांस लेने में तकलीफ़
– मधुमेह

हार्ट फेलियर का क्या है इलाज?: न्यूयॉर्क हार्ट एसोसिएशन क्लासीफिकेशन (NYHA Class 1-4) के अनुसार हार्ट फेलियर की चार अवस्थाएं होती हैं और इसका इलाज अलग-अलग अवस्थाओं में अलग तरह से किया जाता है। क्योंकि एक बार जब मरीज़ अगली अवस्था में पहुंच जाता है तो पिछली अवस्था में नहीं लौट पाता। यानि एक बार सी अवस्था में
पहुंचने के बाद बी या ए में आना संभव नहीं होता। इसलिए बीमारी पर निगरानी रखना और इलाज करना बेहद महत्वपूर्ण है। शुरूआती अवस्थाओं में, दवाओं एवं जीवनशैली में बदलाव द्वारा उपचार की सलाह दी जाती है।

लेकिन एडवान्स्ड अवस्था में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सर्जरी, हार्ट ट्रांसप्लान्ट या डिवाइस इम्प्लान्टेशन जैसे एलवीएडी (left ventricular assist device) की ज़रूरत पड़ सकती है। एलवीएडी बैटरी से संचालित एक मैकेनिकल पम्प होता है, जिसे सर्जरी के द्वारा दिल के बाएं चैम्बर में इम्प्लान्ट किया जाता है, ताकि दिल ठीक से रक्त को पम्प कर सके। यह उन मरीज़ों के लिए व्यवहारिक विकल्प है, जो अडवान्स्ड अवस्था के हार्ट फेलियर के चलते दवाओं से ठीक नहीं हो पाते। यह उनके लिए भी बेहतर विकल्प है जो कई कारणों से हार्ट ट्रांसप्लान्ट कराने में सक्षम नहीं हैं।

इन उपायों को अपनाकर बच सकते हैं: चूंकि हार्ट फेलियर के बहुत से कारणों से बचना संभव नहीं है, किंतु निम्नलिखित उपायों को अपनाकर जोखिम से बचा जा सकता हैः
– ऐसे पदार्थों के सेवन से बचें जो दिमाग एवं शरीर की कार्यप्रणाली में बाधा पहुंचाएं। धूम्रपान एवं ड्रग्स का सेवन न करें।
– शराब का सेवन सीमित मात्रा में करें। हालांकि अच्छा होगा अगर आप इसके सेवन से बचें। हालांकि सीमित मात्रा में सेवन फायदेमंद भी हो सकता है।
– दिल को सेहतमंद बनाए रखने के लिए व्यायाम बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि अपने शरीर की क्षमता के अनुसार सावधानीपूर्वक व्यायाम करें।
– सेहतमंद और संतुलित आहार लें, जिसमें फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज, कम फैट से युक्त डेयरी उत्पाद, स्किनलैस पोल्ट्री और फिश, मेवे और फलियां पर्याप्त मात्रा में हों।
– सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट, कॉलेस्ट्रॉल, सोडियम, रैड मीट, मिठाईयों, चीनी युक्त पेय पदार्थों का सेवन नियन्त्रण में करें।
– अपने लक्षणों को पहचानें और किसी भी तरह की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।