नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरलॉजी (NIV) ने एक नया टेस्ट तैयार किया है। इस आणविक टेस्ट के जरिए बुखार आने के पांच दिनों के भीतर डेंगू और चिकुनगुनिया का पता लगाया जा सकेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुमोदित एक टेस्ट किट पहले से ही मौजूद है जो कि बिलकुल सटीक इम्यूनोग्लोबिन M -IgM टेस्टिंग कर डेंगू का पता लगाती है। इसे कई एजेंसियों को मुहैया भी कराया गया है, मगर नई टेस्ट किट डेंगू के किसी भी चार सीरोटाइप्स का पता लगाने के साथ-साथ चिकुनगुनिया का पता भी लगा सकती है। अधिकारियों ने कहा, ”NIV ने हाल ही में एक नई आणविक जांच की खोज की है जिससे किसी भी डेंगू सीरोटाइप के वायरल अारएनए और चिकुनगुनिया का पता भी लगा सकता है। यह बुखार आने के अगले पांच दिनों के दौरान इंफेक्शन का पता लगाने में उपयोगी है।”
डेंगू वायरस इंफेक्शन का शुरुआती दौर में पता लगाने के लिए डेंगू वायरस का सटीक और सामयिक जांच बहुत जरूरी है। डेंगू और चिकुनगुनिया जैसी बीमारियों के पहले सात दिनों में, सीरम में वायरल आरएनए की पहचान की जा सकती है। और इसके लिए रियल-टाइम पॉलीमर्ज चेन रिएक्शन को प्राथमिकता दी जाती है। वर्तमान में, एनएस1 एंटीजन टेस्ट्स को रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। जहां ज्यादातर प्रयोगशालाओं में पॉलीमर्ज चेन रिएक्शन (PCR) टेस्ट्स करने के लिए पर्याप्त फंड नहीं हैं, डेंगू की शुरुआती जांच के लिए एनएस1 एंटीजन टेस्ट को वैकल्पिक तरीके के तौर पर देखा जाता है। NIV अधिकारियों के अनुसार, देश में डेंगू वायरस के सभी 4 सीरोटाइप्स फैल रहे हैं।
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