मनुष्यों में होने वाली अचानक बीमारी में हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर कब हो जाता है पता ही नहीं चलता है। जिससे कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। कई वर्षों से वैज्ञानिक इसपर शोध कर रहे थे कि क्या कोई ऐसा टेस्ट हो सकता है जिससे हार्ट अटैक आने से पहले ही पता चल जाए। वैज्ञानिकों ने अब ऐसी तकनीकी खोज निकली है जिससे समय रहते इन बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में हुए रिसर्च के बाद शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि एक रक्त परीक्षण के जरिए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अगले 4 वर्षों में दिल का दौरा, स्ट्रोक और दिल की विफलता या इनमें से किसी एक स्थिति से किसी व्यक्ति की मृत्यु होगी या नहीं; इसके साथ ही इन चीजों से व्यक्ति को खतरा है कि नहीं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक यह परीक्षण रक्त में मौजूद प्रोटीन की मात्रा पर निर्भर करता है, जिससे रोगों के बारे में सटीक भविष्यवाणी की जा सकेगी। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस जांच के जरिए यह पता लगाया जा सकेगा कि क्या रोगियों की मौजूदा दवाएं काम कर रही हैं या यदि उन्हें बीमारी के जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त दवाओं की आवश्यकता है।
बोल्डर, कोलोराडो में स्थित एक अमेरिकी कंपनी सोमालॉजिक के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा विकसित इस तकनीकी में लगभग 11,000 प्रतिभागियों पर परीक्षण किया गया है। शोध का नेतृत्व करने वाले डॉ. स्टीफन विलियम्स ने द गार्जियन से कहा, “मुझे लगता है कि किसी व्यक्ति को अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता है या नहीं, परीक्षण इस सवाल का जवाब देने में सक्षम है।”
बता दें कि ऐसा परीक्षण पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न स्वास्थ्य प्रणालियों में उपयोग किया जा रहा है। साथ ही डॉ. विलियम्स ने बताया कि कुछ बीमारियों के खतरे का अंदाजा जेनेटिक टेस्ट से लगाया जा सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक किसी व्यक्ति के अंग, ऊतक और कोशिकाएं किस समय क्या कार्य कर रही हैं इसकी भी भविष्यवाणी प्रोटीन परीक्षण के जरिए किया जा सकेगा।
विलियम्स और उनके सहयोगियों ने 22,849 लोगों के ब्लड प्लाज्मा के सैंपल में 5,000 प्रोटीन का परीक्षण करने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया और 4 साल बाद दिल का दौरा, स्ट्रोक, दिल की विफलता या मृत्यु से जुड़े 27 प्रोटीनों की पहचान की है, जिसके बाद शोधकर्ताओं के मुताबिक 11,609 लोगों पर परीक्षण किया जिनमें पहले दिल का दौरा या स्ट्रोक हुआ था। जिसके बाद यह पाया गया कि उनका मॉडल मौजूदा जोखिम स्कोर से लगभग दोगुना अच्छा था।
जर्नल साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि इस शोध कार्यक्रम का उद्देश्य एक प्रोटिओमिक प्रोग्नॉस्टिक परीक्षण को प्राप्त करना और सिद्ध करना था, जिसने परीक्षणों के अनुरूप समय के साथ हृदय संबंधी प्रमुख बीमारियों और मौतों को लेकर भविष्यवाणी की थी।
बता दें कि नया परीक्षण भारत के हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए भी एक गेम-चेंजर हो सकता है, जहां हृदय रोग जैसे कि इस्केमिक हृदय रोग और सेरेब्रोवास्कुलर जैसे स्ट्रोक से 17.7 मिलियन मौतें होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत (खासकर युवा आबादी में) दुनिया भर में इन मौतों का पांचवां हिस्सा है।