लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा संचय और शरीर से अपशिष्ट विषैले पदार्थों को निकालने आदि का काम करता हुआ है। लीवर हमारे भोजन को पचाने, उसे ऊर्जा में तब्दील करने और वसा संचय जैसे महत्वपूर्ण कामों को अंजाम देता है। ऐसी स्थिति में अगर लिवर कमजोर हो जाए तो व्यक्ति कई बीमारियों से घिर जाता है। लिवर कमजोर होने की स्थिति में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं जिनके सामान्य लक्षण हो सकते हैं- स्किन का पीला पड़ जाना ( जौंडिस), गहरे रंग का पेशाब होना, उल्टी आना, स्किन में खुजली होना, भूख कम लगना, चक्कर आना आदि।
लिवर की बीमारियां
हेपेटाइटिस- लिवर में जब किसी तरह का वायरल इंफेक्शन होता है तब हेपेटाइटिस नामक बीमारी होती है। इससे लिवर में इन्फ्लेमेशन होता है और लिवर डैमेज भी होने लगता है जिस कारण हमारा लिवर सही से काम नहीं कर पाता। यह 5 प्रकार का होता है- हेपेटाइटिस A,B,C,D और हेपेटाइटिस E।
फैटी लिवर की बीमारी- लीवर में जब अधिक फैट एकत्रित हो जाता है तो इससे फैटी लिवर की बीमारी होती है। यह दो तरह का होता है एल्कोहलिक फैटी लिवर, जो कि अत्यधिक शराब पीने से होता है और नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर, जो अन्य दूसरे कारणों से होता है। दोनों ही प्रकारों से लिवर डैमेज होता है जिससे सिरोसिस और लीवर फेल्योर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
कैंसर- लीवर कैंसर लीिवर की एक ख़तरनाक बीमारी है। लिवर कैंसर सबसे पहले लिवर में ही बनता है। लेकिन अगर कैंसर कोशिकाएं शरीर में कहीं और बनकर लिवर तक फैल जाती हैं तो इसे सेकेंड्री लीवर कैंसर कहा जाता है। लिवर कैंसर का सबसे कॉमन टाइप ‘Hepatocellular Carcinoma’ है। यह एक ट्यूमर से शुरू होकर कई छोटे – छोटे ट्यूमर्स में बदल जाता है।
लिवर फेल्योर- लिवर फेल्योर तब होता है जब हमारे लिवर का महत्वपूर्ण हिस्सा पूरी तरह से डैमेज हो जाता है और काम नहीं कर पाता। सामान्यतः यह धीरे- धीरे विकसित होता है और इसके लक्षण हैं – जौंडिस, डायरिया, चक्कर आना और जी मिचलाना आदि।
लिवर की इन बीमारियों से बचे रहने और लिवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हमें अपनी जीवन शैली का खास ख्याल रखना होता है। स्वस्थ लिवर के लिए अगर आप शराब पीते हैं तो उसकी मात्रा बिल्कुल कम कर दें। अपना वजन नियंत्रित रखें, ज़्यादा से ज़्यादा पानी पीएं और ऐसा भोजन करें जो लिवर के लिए स्वास्थ्यप्रद हो। अधिक वसा, शर्करा और नमक के सेवन से बचें।