मौसम बदलने के साथ ही बीमारियों का होना भी शुरू हो जाता है और बुखार- जुकाम आदि बीमारियां ज्यादा होने लगती है। इन दिनों चिकनगुनिया, डेंगू आदि होने का खतरा भी बढ़ जाता है और कई बार हम पहचान नहीं कर पाते हैं कि रोगी को चिकगुनिया की बुखार है या डेंगू बुखार या फिर सामान्य बुखार। इस वजह से बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है और मुश्किल से नियंत्रण में आती है। इसलिए आज हम आपको चिकनगुनिया, डेंगू और सामान्य बुखार के बीच अंतर बता रहे हैं जिससे आप पता लगा सकते हैं कि रोगी को कौनसी बुखार है।
1. चिकनगुनिया और डेंगू बुखार के लक्षण लगभग ऐसे जैसे ही होते हैं, लेकिन डेंगू चिकनगुनिया से ज्यादा खतरनाक होता है। हालांकि चिकनगुनिया की वजह से होने वाला दर्द कई सालों तक भी बना रह सकता है। चिकनगुनिया 1 से 12 दिन तक होता है, लेकिन इसके लक्षण कई दिनों तक शरीर में मौजूद रहते हैं जैसे कि जोड़ों का दर्द कई दिनों तक रहता है। जबकि डेंगू 3 से 7 दिन तक रहता है लेकिन डेंगू में कमजोरी बहुत ज्यादा होती है क्योंकि इस रोग में शरीर में प्लेटलेट्स लगातार गिरती रहती है। वहीं सामान्य बुखार में तापमान कुछ समय बाद कंट्रोल हो जाता है और जोड़ो में दर्द नहीं होता है।
2. चिकनगुनिया के वक्त बुखार, जोड़ो में दर्द, सिर दर्द और आंखों में दिक्कत होती है जबकि डेंगू में शरीर पर रेशेज कम होते हैं और आखों पर भी कम असर पड़ता है। वहीं सामान्य बुखार में सिर्फ शरीर का तापमान ही बढ़ता है और आपको खांसी भी हो सकती है।
3. चिकनगुनिया में हाथों और पांवों के जोड़ों में दर्द होता है और सूजन भी आ जाती है। साथ ही दर्द सुबह के वक्त ज्यादा होता है। वहीं डेंगू में कमर की मांसपेशियों में दर्द होता है और कंधे-घुटने में भी दर्द बना रहता है। वहीं सामान्य बुखार में ऐसा नहीं होता।
4. चिकनगुनिया में हथेलियों और पावों के साथ साथ पूरे शरीर पर रेशैज हो जाते हैं जबकि डेंगू में चेहरे और चमड़ी पर ही होते हैं। सामान्य बुखार में छींकें आदि आती है और पसीना आने पर बुखार उतर जाता है।
5. चिकनगुनिया से सिर्फ जोड़ों में दर्द होता है और कोई दिक्कत होने की संभावना कम होती है जबकि डेंगू ज्यादा खतरनाक होने की वजह से ब्लिडिंग भी होती है और सांस लेने में भी दिक्कत आती है। साथ ही शरीर में बहुत ज्यादा कमजोरी होती है।