पालथी मारकर बैठने की शैली को भले ही भारतीय परंपरा से जोड़कर अच्छा माना जाता रहा है लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक इस वजह से घुटने ज्यादा घिसते हैं और प्रत्यारोपण की नौबत आ जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार देश का हर छठा व्यक्ति आर्थराइटिस से पीड़ित है। ये समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक है। आर्थराइटिस शारीरिक विकलांगता के प्रमुख कारण के रूप में भी उभर रही है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत में घुटने के आर्थराइटिस का प्रकोप चीन की तुलना में दोगुना और पश्चिमी देशों की तुलना में 15 गुना अधिक है। इसकी वजह यह है कि भारतीय में अनुवांशिक एवं अन्य कारणों से घुटने की आर्थराइटिस से पीड़ित होने का खतरा अधिक होता है। हमारी जीवन शैली में उठने- बैठने में घुटने की जोड़ का अधिक इस्तेमाल होता है। जिस वजह से शरीर के अन्य जोड़ों की तुलना में घुटने जल्द खराब होते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं के घुटने जल्दी खराब होते हैं।

आर्थराइटिस में जोड़ों में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से मरीज को चलने-फिरने में परेशानी होने लगती है। शहरी लोग तकरीबन गतिहीन हो गए हैं, जिसका बुरा असर उनकी मांसपेशियों और हड्डियों की ताकत पर पड़ता है। इसके लक्षण जोड़ों में दर्द, जकड़न और जोड़ों से आवाज आने के बाद के चरणों में चलने- फिरने में कठिनाई और जोड़ों में विकृतियां आने की भी संभावना रहती है। बचाव के लिए आलथी-पालथी मारकर ना बैठे, लंबे समय तक खड़े होने से बचें और विटामिन डी की कमी से बचने के लिए पर्याप्त समय तक धूप में रहना भी जरूरी है।

आपको बता दें कि घुटने में कार्टिलेज की परत हड्डियों के ऊपर प्लास्टर की तरह लगी होती है जो घुटने में हड्डी की रगड़ से बचाती है। आर्थराइटिस में इसी घुटने की कार्टिलेज में खराबी आ जाती है जिसकी वजह से कार्टिलेज हड्डी पर से उखड जाती है। कार्टिलेज में दोबारा ठीक होने की क्षमता नहीं होती। कार्टिलेज उखड़ जाने से घुटने में हड्डी से हड्डी रगड़ खाने लगती है, जिसकी वजह से सूजन आ जाती है और दर्द होने लगता है।