अनुसंधानकर्ताओं ने एचआईवी के उपचार के लिए एक ऐसा कैप्सूल बनाया है जिसकी एक खुराक लेने के बाद पूरे एक सप्ताह कोई और दवा नहीं लेनी पड़ेगी। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि एचआईवी विषाणु से लड़ने के लिए ली जाने वाली दवा की खुराक को निश्चित समय पर लेना आवश्यक होता है जिसका पालन करना आसान नहीं होता। ऐसे में इस कैप्सूल विकसित होने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी। इस नए कैप्सूल को अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के अनुसंधानकताओं ने विकसित किया है। इसे इस तरह बनाया गया है कि मरीजों को सप्ताह में केवल एक बार इसे लेना होगा और सप्ताह भर में दवा धीरे-धीरे शरीर में जाती जाएगी।
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि यह कैप्सूल केवल एचआईवी के उपचार में ही मददगार नहीं है, बल्कि यह उन लोगों को भी संक्रमण से बचाने के लिए लिया जा सकेगा जिनके एचआईवी से संक्रमित होने का खतरा अधिक है। एमआईटी में एक अनुसंधानकर्ता और ब्रिघम एंड विमेन्स हॉस्पिटल में बॉयोमेडिकल इंजीनियर जियोवान्नी त्रावेरसो ने कहा, ‘‘एचआईवी के उपचार के लिए समय पर खुराक लेना एचआईवी की उपचार एवं रोकथाम में एक बड़ी बाधा है।’’ उन्होंने कहा कि इस कैप्सूल से इस बाधा को दूर में काफी मदद मिलेगी।
इस कैप्सूल की बनावट छह कोनों वाले एक सितारे की तरह है। इन कोनों में दवा भरकर इन्हें अंदर की ओर मोड़कर बंद किया जा सकता है। कैप्सूल खाने के बाद इन कोनों में से एक एक करके दवा निकलती रहेगी। त्रावेरसो ने कहा, ‘‘यह एक कैप्सूल में दवाइयों का डिब्बा रखने की तरह है। अब आपके पास एक कैप्सूल में सप्ताह के हर दिन के लिए चैंबर है।’’
बता दें कि एड्स को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। 1988 से शुरू हुई इस परंपरा में इस दिन हर साल लोगों को सिंड्रम तथा उसके कारक एचआईवी के बारे में जानकारी दी जाती है तथा ऐसे लोगों के प्रति अफसोस जाहिर किया जाता है जो इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आकर अपनी जान गवां चुके होते हैं। खास बात यह है कि एड्स स्वयं कोई बीमारी नहीं होती बल्कि यह एचआईवी के संक्रमण के बाद की एक स्थिति है जब व्यक्ति अपनी प्राकृतिक रोग प्रतिरक्षण क्षमता को खो देता है जिसके बाद उसे कई तरह की संक्रामक बीमारियां अपने चपेट में ले लेती हैं।