देश में जहां एक तरफ बहुत से लोगों के भोजन में प्रोटीन की भारी कमी है वहीं एक तबका ऐसा भी है जो अनियंत्रित व गैरजरूरी ढंग से प्रोटीन की ज्यादा खपत करता है, लेकिन इसका उन्हें फायदा नहीं बल्कि नुकसान होता है। खानपान विशेषज्ञ व न्यूट्रिशनल पैथालॉजिस्ट के मुताबिक, खानपान को लेकर गलत धारणाएं व अधकचरा ज्ञान भी लोगों को बीमार बना रहा है। इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रोटीन सप्ताह की शुरुआत की गई है। भारतीयों के खानपान के अध्ययन संबंधी आंकड़े बताते हैं कि लोगों के रोजमर्रा के भोजन में जरूरी प्रोटीन का आधा भी नहीं मिल पाता और जिसे मिलता भी है वह सही और बेहतर प्रोटीन के बारे में जानता ही नहीं है। बचपन से लेकर बड़े होने तक शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्त्वों का विस्तृत विज्ञान है, जिसे जान कर बेहतर विकास व रोगों से बचाव संभव है। प्रोटीन न केवल बेहतर विकास के लिए जरूरी है बल्कि यह शरीर की टूट-फूट की मरम्मत और संक्रमण से लड़ने में मदद भी करता है।
इंडियन डायटिक एसोसिएशन और प्रोटीन फूड्स एंड न्यूट्रिशन डेवलपमेंट एसोसिएशन आॅफ इंडिया ने इस बाबत जागरुकता बढ़ाने के लिए 24 से 30 जुलाई के बीच प्रोटीन सप्ताह मनाने का फैसला किया है। यह पहला मौका है जब इस तरह के कार्यक्रम के दौरान खानपान को लेकर शैक्षणिक गोष्ठियां व कार्यशालाएं की जाएंगी। भारतीय चिकित्सा शोध परिषद के राष्ट्रीय पोषण संस्थान के पूर्व निदेशक व न्यूट्रिशनल पैथोलॉजी के विशेषज्ञ डॉ बी शशिकरण ने कहा कि देश के लोगों में जरूरी प्रोटीन की 50 फीसद कमी है। यह कमी न केवल मात्रा के लिहाज से है बल्कि गुणवत्ता के स्तर पर भी है। दूसरी ओर प्रोटीन को लेकर गलत धारणाओं के चलते देश भर में खुल रहे जिम या फिटनेस सेंटर में अंधाधुंध तरीके से प्रोटीन सप्लीमेंट पिला कर युवाओं को बीमारी की ओर धकेला जा रहा है। जिम जाने वाले युवा समझते हैं कि प्रोटीन सिर्फ शरीर बनाने के लिए जरूरी है। इसलिए वे सप्लीमेंट के रूप में इसका अंधाधुंध सेवन कर रहे है जबकि हकीकत यह है कि प्रोटीन शरीर की रोजमर्रा की जररूत है। प्रोटीन सप्लीमेंट के अनियंत्रित इस्तेमाल से लिवर व किडनी में समस्या के मामले भी सामने आए हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि जिनके भोजन में प्रोटीन व कार्बोहाइडेÑट क ा 5:1 का अनुपात शामिल है उनको भी पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिल पाता। जिनको प्रोटीन मिल भी रहा है वह भी पचने व शरीर में अवशोषित होने के लिहाज से जरूरत का केवल 65 फीसद ही है। लिहाजा लोग कई तरह के बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। यहां तक कि गर्भवती महिला भी अगर संतुलित भोजन ले रही है तो भी उसको तब तक पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिलता जब तक कि उसको पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है। कई तरह के प्रोटीन मिल कर संतुलित आहार बनाते हैं। एसोसिएशन की अध्यक्ष नीलांजना सिंह ने कहा कि प्रोटीन को जिम से बाहर लाकर इसके सुमचित व संतुलित उपयोग की जरूरत है।

