शोधकर्ताओं ने एक ऐसी दवा की खोज की है जिसे भविष्य में डिप्रेशन के कुछ मामलों में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह दवा आर्थराइटिस और सोरायसिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा से मिलती जुलती है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के हुए एक हालिया रिसर्च में इस दवा का पता चला। शोधकर्ताओं ने 20 क्लिनिकल ट्रायल्स के डाटा की जांच के बाद दवा का यह असर खोजा। इनमें ऑटोइम्यून इनफ्लेमेटरी डिजीज के कई मामलों को ठीक करने के लिए एंटी-साइटोकाइन ड्रग्स का इस्तेमाल किया गया था। इलाज के के दौरान फायदा पहुंचाने वाले साइड इफेक्ट्स को देखकर रिसर्चर्स ने यह पाया कि दवा में अच्छी मात्रा में अवसादरोधी प्रभाव है जो कि सात अलग-अलग नियंत्रित ट्रायल्स के मेटा एनालिसिस पर आधारित प्लेसबो से बेहतर है। अन्य तरह के क्लिनिकल ट्रायल्स के मेटा-एनालिसिस में भी ऐसे ही नतीजे सामने आए। जब हमें इंफेक्शन होता है जैसे- इंफ्लुएंजा या पेट में कीड़े, हमारा इम्यून सिस्टम लड़ाई शुरू कर देता है और इंफेक्शन हो दूर करता है। इस प्रक्रिया के दौरान, इम्यून सेल्स खून में साइटोकाइन नाम के प्रोटीन भर देती हैं। इस प्रक्रिया को सिस्टेमिक इंफ्लेमेशन कहा जाताहै।
दिल्ली में बर्ड-फ्लू का खतरा, देखें वीडियो:
यहां तक कि जब हम स्वस्थ होते हैं, तब भी हमारे शरीर में ‘इंफ्लेमेटरी मार्कर्स’ के नाम से जाने जाने वाले ये प्रोटीन होते हैं। इंफेक्शन के जवाब में इनकी संख्या तेजी से बढ़ जाती है। रिसर्च टीम ने पहले के शोधों में पाया कि इन मार्कर्स के हाई लेवल्स वाले बच्चों में किशोरावस्था में डिप्रेशन और साइकोसिस होने का खतरा ज्यादा होता है। इससे संभावना बनती है कि इम्यून सिस्टम, खासतौर से क्रॉनिक लो ग्रेड सिस्टेमिक इंफ्लेमेशन की दिमागी बीमारी में भूमिका हो। इंफ्लेमेशन इस वजह से भी हो सकती है कि इम्यून सिस्टम स्वस्थ कोशिकाओं को संंक्रमण वाली कोशिका समझने की गलती कर बैठे। जिससे ऑर्थराइटिस, सोरायसिस और क्रॉन की बीमारी हो सकती है।
READ ALSO: एयर इंडिया में इस पद पर निकली भर्तियां, सिर्फ अविवाहित ही कर सकते हैं आवेदन, ये है चयन की प्रक्रिया
रिसर्च टीम ने पाया कि इस दवा से तनाव के कई लक्षणों को कम करने में मदद मिली। दूसरे शब्दों में कहे तो दवा ऑर्थराइटिस पर तो सफलता से असर कर ही रहे हैं, वह मरीज का तनाव भी कम करेगी। यह रिसर्च बुधवार को जर्नल Molecular Psychiatry में छपा था।
