Bikaji Foods International IPO Listing: स्‍नैक्‍स कंपनी बीकाजी फूड्स (Bikaji Foods International) अपने IPO लेकर चर्चा में है। इस कंपनी की स्थापना साल 1993 में शिवरतन अग्रवाल ने की थी। शिवरतन प्रसिद्ध ब्रैंड हल्दीराम के संस्थापक गंगाबिषन अग्रवाल के पोते हैं। गंगाबिषन के सबसे बड़े बेटे मूलचंद अग्रवाल शिवरतन अग्रवाल के पिता थे।

परिवार ने व्यापार की शुरुआत बीकानेर में एक नाश्ते की दुकान से की थी। तब गंगाबिषन अग्रवाल को ‘भुजियावाले’ के नाम से जाना जाता था। आजादी से 10 साल पहले साल 1937 में खुला वह दुकान ही बाद में हल्दीराम के नाम से मशहूर हुआ। ‘हल्दीराम’ गंगाबिषन अग्रवाल का ही दूसरा नाम था। शिवरतन अग्रवाल खुद बताता हैं कि उन्होंने भूजिया बनाना अपने दादा से ही सीखा।

बीकाजी ने बनाई अलग पहचान

500 से अधिक साल पहले जोधपुर के राजा राव जोधा के दूसरे राजकुमार राव बीका ने राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में अपना साम्राज्य स्थापित करने के लिए अनुयायियों के एक छोटे समूह के साथ घर छोड़ दिया था। उन्होंने अपने नए राज्य के लिए जो स्थान चुना वह एक स्थानीय प्रमुख नेहरा का था। नेहरा ने राजकुमार को अपनी सहमति इस शर्त पर दी थी कि उसकी भूमि पर जो नया साम्राज्य बनाया जा रहा है, उसमें उसका नाम भी होना चाहिए। राव बीका ने अपने नाम के साथ नेर का नाम जोड़ा और नए राज्य का नाम बीकानेर रखा गया।

शिवरतन अग्रवाल का परिवार भी भुजिया और स्‍नैक्‍स की सबसे बड़ी स्वदेशी कंपनी चला रहा था। लेकिन उन्हें राव बीका की तरह अपनी अलग पहचान बनानी थी। साल 1987 में शिवरतन ने हल्दीराम ब्रांड से अलग होकर खुद का बीकानेरी भुजिया का कारोबार शुरू किया। साल 1993 में उन्होंने अपने ब्रांड को नाम दिया – बीकाजी। कंपनी ने इस नाम का चयन बीकानेर शहर के संस्थापक राव बीकाजी के नाम पर रखा गया था।

हिंदी के कवि और आलोचक अशोक वाजपेयी ने भुजिया के प्रति बीकानेर के लोगों की दीवानगी पर कहा था, बीकानेर की आधी आबादी भुजिया बनाने में व्यस्त है और आधी आबादी उसे खाने में। शायद शिवरतन अग्रवाल भी लोगों की इस दिवानगी को जानते थे। तभी उन्होंने अपने बिजनेस का गढ़ बीकानेर को बनाया।

40 देशों में फैला है कारोबार

8वीं पास शिवरतन अग्रवाल द्वारा शुरु की गई कंपनी का कारोबार आज 40 देशों में फैला हुआ है। अगस्त 2020 में प्रकाशित बिजनेस इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1992 में बीकारी का सालाना टर्नओवर 6 करोड़ रुपये था। यह साल 2020 में बढ़कर 1,074 करोड़ रुपये हो गया था।