साल 1996 के मुलायम सिंह यादव पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए थे। अपने पहले ही कार्यकाल में उन्हें संयुक्त मोर्चा सरकार में केंद्रीय रक्षा मंत्री बनाया गया। वह यूनाइटेड फ्रंट की सरकार में 1996 से 1998 तक रक्षा मंत्री रहे। डिफेंस मिनिस्टर रहते हुए उन्होंने पाकिस्तान की तुलना में चीन को भारत का बड़ा दुश्मन बताया था। वह अपनी इस बात पर हमेशा कायम रहे।

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सैनिकों के शव को घर तक पहुंचाने का फैसला

आजादी के बाद लम्बे समय तक देश की सुरक्षा में बॉर्डर पर तैनात सैनिकों का शव घर नहीं पहुंचाया जाता था, सिर्फ जवान की टोपी ही परिजनों को मिलती थी। लेकिन रक्षा मंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने सैनिकों के सम्मान में बड़ा फैसला लिया।

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुलायम सिंह यादव ने रक्षा मंत्री रहते हुए सुनिश्चित किया कि सभी शहीद जवानों का शव पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके घर पहुंचाया जाए। सैनिक के पार्थिव शरीर को ससम्मान परिजनों को सौंपने के लिए जिले के मजिस्ट्रेट और एसपी को शहीद के घर जाने का आदेश भी सिंह के ही कार्यकाल में दिया गया था।

डॉ सुनील जोगी की किताब ‘एक और लोहिया: मुलायम सिंह यादव’ के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि रक्षा मंत्री बनते ही सपा संस्थापक ने ऐलान कर दिया था कि भविष्य में कोई भी जंग भारत की जमीन पर नहीं लड़ा जाएगा। उन्होंने पूर्व सैनिकों की विधवाओं को मिलने वाली राशि में भी बढ़ोतरी की थी।

82 साल की उम्र में हुआ निधन

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का सोमवार की सुबह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में 82 वर्ष उम्र में निधन हो गया। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। 3 बार मुख्यमंत्री, 7 बार सांसद, 8 बार विधायक और रक्षा मंत्री रहे ‘नेताजी’ उत्तर भारत की राजनीति में पांच दशकों से ज्यादा समय तक सक्रिय रहे।

निधन पर दुख व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी कहा है, ”जब हमने अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के रूप में काम किया, तब मुलायम सिंह यादव के साथ मेरी कई बातचीत हुई। घनिष्ठता जारी रही और मैं हमेशा उनके विचारों को सुनने के लिए उत्सुक था। उनका निधन मुझे पीड़ा देता है। उनके परिवार और लाखों समर्थकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।”