कर्नाटक विधानसभा चुनाव के शुरुआती रुझानों में कांग्रेस को बहुमत मिलता दिख रहा है। कांग्रेस 124 सीटों पर लीड कर रही है, जबकि बीजेपी 70 और जेडीएस 23 सीटों पर आगे चल रही है। राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और पार्टी कैडर ने काफी कड़ी मेहनत की,  इसके बावजूद नतीजे अच्छे नहीं रहे।

आपको बता दें कि कर्नाटक में विधानसभा की कुल 224 सीटें हैं और बहुमत के लिए 113 सीटों की आवश्यकता होती है। 

कांग्रेस ने कैसे पलटी बाजी?

शुरुआती रुझानों मुताबिक कांग्रेस अपने दम पर बहुमत हासिल करती दिख रही है और सरकार बनाने की स्थिति में नजर आ रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुरुआती रुझानों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पार्टी को कम से कम 120 सीटें मिलेंगी। जबकि बीजेपी 65 से 70 सीटों के बीच सिमट जाएगी। इसी तरह जेडीएस को 25 सीटें मिल सकती हैं। 

1 – कांग्रेस ने इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान तीन स्ट्रेटजी पर काम किया। इंडियन एक्सप्रेस के एसोसिएट एडिटर मनोज सीजी बताते हैं कि कांग्रेस ने चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर जोर दिया। इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं खासकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार एक साथ नजर आए। पार्टी यूनिटी का मैसेज देने में कामयाब रही।

2 – युवा और महिला बीजेपी के बड़े वोट बैंक रहे हैं।  लेकिन इस बार कांग्रेस इन दोनों वर्ग के मतदाताओं में सेंधमारी करने में सफल रही है। 

3 – तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण रणनीति स्टैंड लेना है। मनोज सीजी लिखते हैं कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में PFI और बजरंग दल को बैन करने का ऐलान किया था। अब तक बजरंग दल को लेकर तमाम हंगामे के बावजूद पार्टी अपने स्टैंड पर कायम रही। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इससे मुस्लिम मतदाताओं का एक वर्ग उनसे जुड़ा और वोट में तब्दील हुआ। 

1985 वाला ट्रेंड कायम

1985 के बाद से लगातार कर्नाटक सत्तारूढ़ दल के खिलाफ जनादेश देता रहा है। हालांकि 2014 और 2018 अपवाद हैं, जब कांग्रेस ने सरकार बनाई लेकिन चला नहीं पाई। इस बार भी पुराना ही ट्रेंड दिख रहा है। ज्यादातर एग्जिट पोल ने भी बीजेपी के सत्ता से बाहर होने का अनुमान लगाया था।

कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा, JDS को तगड़ा नुकसान

अभी तक के चुनाव रुझानों के मुताबिक, 2018 के  के मुकाबले कांग्रेस के वोट शेयर में 5 फ़ीसदी से ज्यादा इजाफा होता दिख रहा है। उधर, बीजेपी को सीटों का नुकसान तो हुआ है लेकिन वोट शेयर लगभग 2018 जितना ही है। इस बार भी पार्टी को 36 फीसदी के आसपास वोट शेयर मिलता दिख रहा है।

इस बार जेडीएस को सबसे ज्यादा नुकसान होता दिख रहा है। पार्टी 2018 का वोट शेयर भी नहीं बचा पाई और 5 फ़ीसदी से अधिक का नुकसान होता नजर आ रहा है।